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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋतुसंहार 785 सितोत्पलाभाम्बुद चुम्बितोपलाः समाचिताः प्रस्रवणैः समन्ततः। 2/16 धौले कमल के समान उजले बादल जिन पहाड़ी चट्टानों को चूमते चलते हैं, उन पर बहने वाले सैकड़ों झरनों को देखकर। चञ्चन्मनोज्ञशफरीरसनाकलापाः पर्यन्तसंस्थित सिताण्डजपङ्क्तिहाराः। 3/3 उछलती हुई सुंदर मछलियाँ ही उन (नदियों) की करधनी हैं, तीर पर बैठी हुई उजली चिड़ियों की पातें ही उनकी मालाएँ हैं। स्तनेषु हाराः सितचन्दनाः भुजेषु सङ्ग वलयाङ्गदानि। 6/7 अपने स्तनों पर धौले चंदन से भीगे हुए मोती के हार पहन लिए हैं, हाथों में भुजबंध और कंगन डाल लिए हैं। आम्री मञ्जुलमञ्जरी वरशरः सत्किंशुकं यद्धनुर्ध्या यस्यालिकुलं कलङ्करहित छत्रं सितांशुः सितम्। 6/38 जिसके आम के बौर ही बाण हैं, टेसू ही धनुष हैं, भौंरों की पांत ही डोरी हैं, उजला चंद्रमा ही कलंक रहित छत्र है। चंद्रमा 1. इंदु - [उनत्ति क्लेदयति चन्द्रिकया भुवनम् - उन्द् + उ आदेरिच्च] चंद्रमा। मनोहरैश्चन्दनरागगौरैस्तुषारकुन्देन्दुनिभैश्च हारैः। 4/2 हिम, कोई और चंद्रमा के समान उजले और कुंकुम के रंग में रंगे हुए मनोहर हार। न चन्दनं चन्द्रमरीचिशीतलं न हर्म्यपृष्ठं शरदिन्दुनिर्मलम्। 5/3 न किसी को चंद्रमा की किरणों से ठंडाया हुआ चंदन ही अच्छा लगता है, न शरद् के चंद्रमा के समान निर्मल छतें ही सुहाती हैं। 2. चन्द्र - [ चन्द + णिच् + रक्] चंद्रमा। कमलवनचिताम्बुः पाटलामोदरम्यः सुखसलिलनिषेकः सेव्य चन्द्रांशु हारः। 1/28 जिसमें कमलों से भरे हुए और खिले हुए पाटल की गंध में बसे हुए जल में स्नान करना अच्छा लगता है और चंद्रमा की चाँदनी व मोती के हार सुख देते For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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