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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 781 ऋतुसंहार गजगवयमृगेन्द्रा वह्निसंतप्तदेहा सुहृद इव समेता द्वन्द्वभावं विहाय। 1/27 आग से घबराए हुए और झुलसे हुए हाथी, बैल और सिंह अपने शत्रु के भावों को छोड़कर आज मित्र बन कर एक साथ। नद्यो घना मत्तगजा वनान्ताः प्रिया विहीना: शिखिनः प्लवङ्गा। 2/19 नदियाँ, बादल, मस्त हाथी, जंगल, अपने प्यारों से बिछुड़ी हुई स्त्रियाँ, मोर और बंदर। 3. दन्तिन् - [ दन्त + इनि] हाथी। प्रवृद्धतृष्णोपहता जलार्थिनो न दन्तिन:केसरिणोऽपि विभ्यति। 1/15 जो हाथी धूप और प्यास से बेचैन होकर पानी की खोज में इधर-उधर घूम रहे हैं, वे इस समय सिंह से भी नहीं डर रहे हैं। 4. द्विप - [ द्वि + पः] हाथी। वनद्विपानां नववारिदस्वनैर्मदान्वितानां ध्वनतां मुहुर्मुहुः । 2/15 नये-नये बादलों के गरजने से जब बनैले हाथी मस्त हो जाते हैं और उनके बहते हुए मद पर। 5. मत्तेभ - [ मद् + क्त + इभः] मदवाला हाथी। मत्तेभो मलयानिलः परभृता यद्बन्दिनो लोकजित्सोऽयं वो वितरीतरीतु वितनुर्भद्रं वसन्तान्वितः। 6/38 जिसका मलयाचल से आया हुआ पवन ही मतवाला हाथी है, कोयल ही गायक है, और शरीर न रहते हुए भी जिसने संसार को जीत लिया है, वह कामदेव वसन्त के साथ आपका कल्याण करे। गह्वर 1. गह्वर - [ गह + वरच्] गुफा, कंदरा, जंगल। तृषाकुलं निः सृतमद्रिगह्वरादवेक्षमाणं महिषीकुलं जलम्। 1/21 प्यास के मारे भैंसों का समूह पहाड़ की गुफा से निकल-निकल कर जल की ओर चला जा रहा है। 2. निकुञ्ज-[ नि + कु + जन् + ड, पृषो०] लता मंडप, कुंज, जंगल, पर्णशाला। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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