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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेघदूतम् 751 हर 1. इन्दुमौलि - [ इन्दुः + मौलिः] शिव। तत्रव्यक्तं दृषदि चरणन्यासमर्धेन्दुमौलै। पू० मे० 59 वहीं एक शिला पर तुम्हें शिवजी के पैर की छाप बनी हुई मिलेगी। 2. त्रिनयन - [ त्रि + नयन] शिव, शिव का विशेषण। शोभा शुभ्रत्रिनयनवृषोत्खातपङ्कोपमेयम्। पू० मे० 56 तुम वैसे ही दिखाई दोगे जैसे महादेवजी उजले साँड़ के सींगों पर मिट्टी के टीलों पर टक्कर मारने से कीचड़ जम गया हो। शैलादाशु त्रिनयनवृषोत्खातकूटान्निवृत्तः। उ० मे० 56 उस पर्वत से लौट आना जिसकी चोटियाँ महादेवजी के साँड़ ने उखाड़ दी हैं। 3. त्रिभुवन गुरु - शिव, शिव का विशेषण। पुण्यं यायास्त्रिभुवनगुरोर्धामचण्डीश्वरस्य। पू० मे० 37 तुम तीनों लोकों के स्वामी और चंडी के पति महाकाल के पवित्र मंदिर की ओर चले जाना। 4. त्र्यंबक - [त्रि + अंबकं] शिव, शिव का विशेषण। राशिभूतः प्रतिदिनमिव त्र्यम्बकस्याट्टहासः। पू० मे० 62 मानो वह दिन-दिन इकट्ठे किया हुआ शिवजी का अट्टाहास हो। 5. धनपतिसखा - [धन् + अच् + पति + सखा] शिव, शिव का विशेषण। मत्वा देवं धनपतिसखं यत्र साक्षाद्वसन्तं। उ० मे० 14 वहीं कुबेर के मित्र शिवजी भी रहा करते हैं, इसलिए डर के मारे वसंत ऋतु में भी। पशुपति - [पशु + पतिः] शिव का विशेषण, शिव। नृत्तारम्भे हर पशुपतेराईनागाजिनेच्छा शान्तः। पू० मे० 40 नृत्यारंभ के समय तुम्हारे ऐसा करने से शिवजी के मन में जो हाथी की खाल ओढ़ने की इच्छा होगी, वह भी पूरी हो जाएगी। 7. महाकाल - [ महा + काल:] शिव का एक रूप, शिव का विशेषण। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
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