SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 674 कालिदास पर्याय कोश क्योंकि अपने प्यारों के बिछोह में स्त्रियाँ प्रायः ऐसी ही बातों में अपने दिन काटती हैं। स्निग्धाः सख्यः कथमपि दिवा तां न मोक्ष्यन्ति तन्वीमेकप्रख्या भवति हि जगत्पङ्गनानां प्रवृत्तिः। उ० मे० 29 उसकी प्यारी सखियाँ, उस कोमल देहवाली को दिन में कभी अकेली नहीं छोड़ेंगी, क्योंकि संसार में सभी स्त्रियाँ अपनी सखियों के दुख में कभी उनका साथ नहीं छोड़तीं। अबला -स्त्री। तस्मिन्नद्रौ कतिचिदबलाविप्रयुक्तः स कामी नीत्वा मासान्कनकवलय भ्रंशरिक्तप्रकोष्ठः। पू० मे० 2 यक्ष अपनी पत्नी से बिछुड़ने पर सूखकर काँय हो गया। उसके हाथ के सोने के कंगन भी ढीले होकर निकल गये और यों ही रोते कलपते उसने कुछ महीने उस पहाड़ी पर जैसे-तैसे काट दिए। लाक्षारागं चरणकमलन्यासयोग्यं च यस्यामेकः सूते सकलमबलामण्डनं कल्पवृक्षः। उ० मे० 12 पैरों में लगाने का महाबर आदि स्त्रियों के सिंगार की जितनी वस्तुएँ हैं, सब अकेले कल्पवृक्ष से ही मिल जाती हैं। सा संन्यस्ताभरणमबला पेशलं धारयन्ती शय्योत्सङ्गे निहितमसकृदुःखदुःखेन गात्रम्। उ० मे० 35 वह बेचारी बार-बार दुःख में पछाड़ खा-खाकर पलंग के पास पड़ी हुई, किसी प्रकार अपने बिना आभूषण वाले कोमल शरीर को सँभाले हुए है। अव्यापन्नः कुशलमबले पृच्छति त्वां वियुक्तः पूर्वभाष्यं सुलभविपदां प्राणिनामेतदेव। उ० मे० 12 हे अबला! तुम्हारा बिछुड़ा हुआ साथी कुशल से है और तुम्हारी कुशल जानना चाहता है क्योंकि जिन पर अचानक विपत्ति आ गई हो, उनसे पहले-पहल यही पूछना ठीक होता है। 3. कान्ता -[कम् + क्त + टाप्] प्रेमिका या लावण्यमयी स्त्री, गृह स्वामिनी, पत्नी। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy