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कुमारसंभव
जिस कामदेव ने उनके सोचे हुए काम में अपना इतना उत्साह दिखाया था, उससे बोले।
विवाह
2. विवाह :-[वि+व+घञ्] शादी, व्याह।
अवस्तुनिर्बन्ध परे कथं नु ते करोऽयमामुक्त विवाह कौतुकः। 5/66 बताइए तो, पाणिग्रहण के समय विवाह के मंगल-सूत्र से सजा हुआ आपका यह हाथ। वैवाहिकी तिथिं पृष्टास्तत्क्षणं हरबन्धुना। 6/93 विवाह की तिथि पूछे जाने पर सप्त ऋषियों ने बताया। वैवाहिकैः कौतुक संविधानैहे गृहे व्यग्रपुरंधिवर्गम्। 7/2 उस नगर के घर-घर में सब स्त्रियाँ बड़ी धूम-धाम के साथ विवाह का उत्सव मना रही थीं। तमेव मेना दुहितुः कथं चिद् विवाह दीक्षातिलक चकार।7/24 मेना ने विवाह का तिलक लगाकर पावती जी के मन की वह साध पूरी कर दी। विवाह यज्ञे विततेऽत्र यूयमध्वर्यवः पूर्ववृता मयेति। 7/47. इस बड़े विवाह के काम में पुरोहित का काम मैंने पहले से ही आपके लिए रख छोड़ा है। वधूं द्विजः प्राहतवैष वत्सेवन्हिर्विवाहं प्रतिकर्मसाक्षी। 7/83 तब पुरोहित ने पार्वती जी से कहा कि वत्से ! यह अग्नि तुम्हारे विवाह का साक्षी
2. परिणय :-[परि+नम्+घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः] विवाह ।
परिणेष्यति पार्वतीं यदा तपसा तत्प्रवर्णीकृतो हरः। 4/42 जब पार्वतीजी की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव जी उनके साथ विवाह कर लेंगे। तस्मिन्संयमिना माये जाते परिणयायोन्मुखे। 6/34 संयमियों में श्रेष्ठ महादेवजी ही विवाह के लिए इतने उतावले हैं। नव परिणय लज्जा भूषणां तत्र गौरीं। 7/95 नया विवाह होने से लजीली पार्वती।
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