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रघुवंश
सा तीर सोपान पथावतारादन्योन्य केयूर विघट्टिनीभिः। 16/56 जब कुश की रानियाँ सीढ़ियों से पानी में उतरने लगी, उस समय उनके भुजबंद
एक दूसरे से रगड़ खाने लगे। 2. बाहु :- [बाध्+कु, धस्य हः] भुजा, बाजूबंद, बाजूबंध।
गाढांग दैर्बाहुभिरप्सु बालाः क्लेशोत्तरं रागवशात्पलवन्ते। 16/60 खेल में सम्मिलित होने के कारण ये मोटे-मोटे भुजबंदों वाली बाँहों से जल में बड़ी कठिनाई से तैर रही हैं।
केशपाश
1. केशपाश :-[क्लिश्यते क्लिश्नाति वा-क्लिश+अन, लोलोपश्च+पाश:] बालों
का जूड़ा, संवारे हुए बाल, बहुत अधिक बाल। बद्धं न संभावित एव तावत्करेण रूद्धोऽपि च केशपाशः। 7/6 उस हड़बड़ी में अपना जूड़ा बाँधने की भी सुध न रही और वह अपने केश हाथ
में थामे ही खिड़की पर पहुँच गई। 2. प्रवेणी :-[प्र+वेण्+इन्, प्रवेणि ङीष्] बालों का जूड़ा।
हेम भक्तिमती भूमिः प्रवेणीमिव पिप्रिये। 15/30 ऐसी सुदंर लगी, मानो वह सुनहरी फन्दों वाली पृथ्वी की चोटी हो।
केसर 1. केसर :-[के+सृ (शृ)+अच्, अलुक् स०] बकुल वृक्ष का फूल।
ललित विभ्रमबन्ध विचक्षणं सुरभि गंध पराजित केसरम्।9/36 चितवन आदि मधुर हावभाव कराने को उकसाने वाले और बकुल को भी
अपनी गन्ध से हराने वाले। 2. बकुल :-[बङ्कर+उरच्, रेफस्य लत्वम्, न लोप:] मौलसिरी वृक्ष का सुगंधित
फूल, मौलसिरी वृक्ष, बकुल। मधु करैर करोन्मधुलोलुपैर्बकुल माकुलमायत पंक्तिभिः। 9/30 बकुल के वृक्षों को झुण्ड बनाकर उड़ते हुए मधु के लोभी भौरों ने बड़ा झक झोरा
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