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रघुवंश
2. शिखंडक :-[शिखण्ड इव+कन्] कलंगी, बालों का गुच्छा, चूड़ा या शेखर,
चूडाकर्म संस्कार के अवसर पर रखी गई चोटी। तौ पितुर्नयनेन वारिणाकिंचिदुक्षित शिखंडकाकुभौ। 11/5 उन आँसुओं से दोनों राजकुमारों की चोटियाँ भीग गईं।
काल 1. काल :-[कुईषत् कृष्णत्वं लाति ला+क, कोः कादेशः] समय।
यथापराध दंडानां यथाकाल प्रबोधिनाम्। 1/6 जो अपराधियों को अपराध के अनुसार ही दण्ड देते थे, जो अवसर देखकर ही काम करते थे। विलंबित फलैः कालं स निनाय मनोरथैः। 1/33 पर दिन बीतते जा रहे थे और मन की साध पूरी नहीं हो पा रही थी। पतिः प्रतीतः प्रसवोन्मुखीं प्रियां ददर्शकाले दिवमभ्रितामिव। 3/12 दसवें महीने में राजा ने देखा कि शीघ्र ही पुत्र को जन्म देने वाली रानी ऐसी लग रही थी, जैसे तत्काल बरसने वाले बादलों से घिरा हुआ आकाश हो। परिकल्पित सांनिध्या काले काले च बंदिषु। 4/6 समय-समय पर उनके चारणों के कंठों में बैठकर। कालोपपन्नातिथि कल्प्य भागं वन्यं शरीर स्थिति साधनं वः। 5/9 तिन्नी के जिस अन्न और जिन फलों से आप लोग समय-समय पर अतिथियों का सत्कार करते हैं और जिन्हें खाकर ही आप लोग रह जाते हैं। व्यतीतकालस्त्वहमभ्युपेतस्त्वामर्थिभावादिति मे विषादः। 5/14 मैं आपके पास कुछ मांगने आया था, पर मैं समझता हूँ कि मुझे आने में कुछ विलंब हो गया है, इसी का मुझे खेद है। परस्परेण क्षतयोः प्रहोरुत्कांतवारवोः समकालमेव। 7/53 दो वीर एक दूसरे के प्रहार से एक साथ मारे गए। स पौरकार्याणि समीक्ष्य काले रेमे विदेहाधिपतेर्दुहित्रा। 14/24 वे ठीक समय पर प्रजा का काम देख-भालकर सीताजी के साथ रमण भी करते
2. समय :-[सम्+इ+अच्] काल, अवसर, मौका।
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