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कालिदास पर्याय कोश
4. आदिपुंस : - [ आ + दा + कि पुंसः] विष्णु, कृष्ण या नारायण ।
अनुप्रवेशाद्यस्य पुंसस्तेनापि दुर्वहम् | 10 / 51
उस खीर में सारे ब्राह्माण्ड को सँभालने वाले विष्णु भगवान पैठे हुए थे, इसलिए वह दिव्य पुरुष भी कटोरे को बड़ी कठिनाई से सँभाल पा रहा था।
5. केशव :- [ केशाः प्रशस्ताः सन्त्यस्य, केश + वः] विष्णु का विशेषण । श्री वत्सलक्षणं वक्ष: कौस्तुभेनेव कैशवम् | 17/29
जैसे श्रीवत्स के चिह्न वाला विष्णु का वक्ष स्थल कौस्तुभमणि से चमक उठता है ।
6. चक्रधर :- [ चक्र + धर: ] विष्णु का विशेषण |
विगाहितुं श्रीमहिमानुरूपं प्रचक्रमे चक्रधर प्रभावः । 16/55
यह निश्चय करके विष्णु के समान प्रभावशाली कुश, सरयू के जल में विहार करने चले ।
7. चतुर्भुज :- [ चत् + उरन् + भुजः] विष्णु की उपाधि ।
चतुर्भुजांशप्रभवः स तेषां दानप्रवृत्तेरनुपारतानाम् । 16/3
वैसे ही विष्णु के अंश से उत्पन्न हुए राम का दानी कुल भी आठ भागों में फैला । 8. नारायण :- [ नारा + अयनं यस्य ब०स०] विष्णु की उपाधि ।
पद्मेव नारायणमन्यथासौ लभेत कान्तं कथमात्मतुल्यम्। 7/13
जैसे स्वयंवर में लक्ष्मी ने विष्णु भगवान को वर लिया था, वैसे ही इंदुमती ने अज को वर लिया है। बिना स्वयंवर के उसे ऐसा योग्य वर कैसे मिलता ।
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9. पुण्डरीकाक्ष :- [ पुंड् + ईकन् नि० + अक्षः ] विष्णु का विशेषण |
शान्ते पितर्याहृत पुण्डरीका यं पुण्डरीकाक्षमिव श्रिता श्रीः । 18 / 8 पिता के स्वर्ग चले जाने पर कमल धारण करने वाली लक्ष्मी ने पुण्डरीक को ही विष्णु मानकर वर लिया ।
10. पुरुष :- [ पुर् + कुषन् ] परमात्मा, ईश्वर ।
तमपहाय ककुत्स्थ कुलोद्भवं पुरुषमात्मभवं च पतिव्रता । 9/16
और फिर भगवान् विष्णु और दशरथ को छोड़कर और दूसरा राजा ही कौन था, जिसके यहाँ प्रतिव्रता लक्ष्मी जाकर रहतीं।
11. पुरुषोत्तम : - [ पुर् + कुषन् + उत्तमः ] परमात्मा, विष्णु या कृष्ण का विशेषण ।