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कालिदास पर्याय कोश 2. सर :-[सृ + अच्] झील, सरोवर, तालाब, ताल।
सरसीष्वर विन्दानां वीचिविक्षोभ शीतलम्। 1/43 मार्ग में जो ताल पड़ते थे, उनकी लहरों की झकोरों से उड़ती हुई कमलों की ठंडी सुगंध लेते हुए वे चले जा रहे थे। उषसि सर इव प्रफुल्लपद्मं कुमुदवन प्रतिपन्ननिद्रमासीत्। 6/86 उस समय वह मंडप प्रातः काल के उस सरोवर जैसा लगने लगा, जिसमें एक ओर खिले हुए कमल दिखाई दे रहे हों और दूसरी ओर मुँदे कुमुदों का झुंड खड़ा
अभिययुः सरसो मधुसंभृतां कमलिनीमलिनीरपतत्रिणः। 9/27 इसलिए जैसे उनकी लक्ष्मी के आगे बहुत से मंगन हाथ फैलाया करते थे, वैसे ही वसंत की शोभा से लदी हुई ताल की कमलिनी के आसपास भौरे और हंस
भी मंडराने लगे। 3. ह्रद :-[ह्राद् + अच्, नि०] गहरा सरोवर, गहरा तालाब।
क्षणमात्रमृषिस्तस्थौ सुप्तमीन इव हृदः। 1/73 उस समय ऋषि वशिष्ठ जी उस ताल के समान स्थिर और निश्चल हो गए, जिसकी सब मछलियाँ सो गई हों।
सर्ग 1. सर्ग :-[सृज् + घञ्] सृष्टि, प्रकृति, विश्व।
स्वमूर्ति भेदेन गुणाग्यवर्तिना पतिः प्रजानामिव सर्गमात्मनः। 3/27 जैसे ब्रह्मा ने अपने सतोगुण वाले अंश से विष्णु के प्रकट होने पर यह समझ
लिया कि अब हमारी सृष्टि अमर हो गई। 2. सृज :- सृष्टि, प्रकृति, विश्व।
नमो विश्व सजे पूर्वं विश्वं तदन बिभ्रते। 10/16
पहले विश्व को बनाने वाले फिर उसका पालन करने वाले, आपको प्रणाम है। 3. सृष्टि :-(स्त्री०) [सृज् + क्तिन्] संसार, प्रकृति।
विधाय सृष्टिं ललितां विधातुर्जगाद भूयः सुदतीं सुनन्दा। 6/37 विधाता की सुंदर रचना और सुंदर दाँतों वाली इन्दुमती को आगे ले जाकर सुनंदा बोली।
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