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रघुवंश
399 सेवा में चतुर सुग्रीव के हाथों के सहारे राम उतरे और विभीषण आगे-आगे मार्ग दिखाते चले। तथैव सुग्रीव बिभीषणादीनुपावचरत्कृत्रिमसंविधाभिः। 14/17 वहाँ से आकर उन्होंने सुग्रीव और विभीषण आदि मित्रों का भली-भाँति स्वागत-सत्कार किया।
विलोल 1. चटुल :-[चटु + लच्] चंचल, चपल।
त्रासातिमात्र चटुलैः स्मरयत्सु नेत्रैः प्रौढप्रिया नयनविभ्रमचेष्टितानि।9/58 जब उन्होंने उन हरिणों की डरी हुई आँखों को देखा, तो उन्हें अपनी प्रियतमा के
चंचल नेत्रों का स्मरण हो आया और उनके हाथ ढीले पड़ गए। 2. चपल :-[चुप् + कल, उपधोकारस्य कारः] अस्थिर, चंचल, चलचित्त ।
प्रसादाभिमुखे तस्मिँश्चपलापि स्वभावतः। 17/46
स्वभाव से चंचल लक्ष्मी भी प्रसन्न मुख वाले अतिथि के पास आकर। 3. विलोल :- चंचल, चपल। रथो रथाङ्गध्वनिना विजो विलोल घण्टाक्वणितेन नागः। 7/41 धूल इतनी गहरी छा गई थी कि युद्ध क्षेत्र में पहियों का शब्द सुनकर ही वे समझ पाते थे, कि रथ आ रहा है। हाथियों के चंचल घंटियों की आवाज सुनकर ही वे समझ पाते थे, कि कोई हाथी आ रहा है। पृषतीषु विलोल मीक्षितं पवनाधूत लतासु विभ्रमाः। 8/59 तुम्हारी चंचल चितवन हरिणियों को मिल गई है और तुम्हारा चुलबुलापन वायु से हिलती हुई लताओं में पहुँच गया है।
विवाह 1. कौतुकक्रिया :-[कुतुक + अण + क्रिया] विवाह संस्कार।
कन्यकातनयकौतुकक्रियां स्वप्रभावसदृशीं वितेनतुः। 11/53 शास्त्र की विधि से अपने ऐश्वर्य के अनुकूल अपने पुत्रों और कन्याओं का विवाह कर दिया। 2. गृहमेधिन :-[ग्रह + क + मेधिन्] विवाह, गृहस्थ।
यशसे विजिगीषूणां प्रजायै गृहमेधिनाम्। 1/7
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