________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
386
कालिदास पर्याय कोश वशिष्ठस्य गुरोर्मन्त्राः सायकास्तस्य धन्विनः। 17/38
गुरु वशिष्ठ के मंत्र और राजा के बाण दोनों ने। 3. स्रष्टुसूनु :-[सृज् + तृच् + सूनुः] ब्रह्मा के पुत्र वशिष्ठ।
सूनुः सूनृतवाक्स्त्रष्टुर्विससोर्जित श्रियम्। 1/93 विद्वान, सत्यवक्ता, ब्रह्मा के पुत्र वशिष्ठजी ने।
वाल्मीकि 1. आदिकवि :-[आ + दा + कि + कविः] प्रथम कवि, वाल्मीकि की उपाधि।
प्रत्यर्पयिष्यतः काले कवेराद्यस्य शासनात्। 15/41 वाल्मीकि जी ने उन्हें कह दिया था, कि समय आने पर हम स्वयं दोनों पुत्रों को
सौंप देंगे, तुम मत कहना। 2. प्राचेतस :-[प्रचेतसः अपत्यम् :-प्रचेतस् + अण] वाल्मीकि का गोत्रीय
नाम। अथ प्राचेतसोपज्ञं रामायणमितस्ततः। 15/63
तब वाल्मीकि जी की आज्ञा से रामायण गाते हुए इधर-उधर घूमने लगे। 3. वाल्मीकि :-[वल्मीके भवः अण् इञ् वा] एक विख्यात मुनि तथा रामायण
के प्रणेता का नाम। आश्वास्य रामावरजः सतीं तामाख्यातवाल्मीकि निकेत मार्गः। 14/58 लक्ष्मण ने उन्हें बहुत समझाया बुझाया और वाल्मीकि का आश्रम दिखाकर कहा। वृत्तं रामस्य वाल्मीकेः कृतिस्तौ किंनरस्वनौ। 15/64 एक तो राम का चरित, उस पर वाल्मीकि उसके रचयिता, और फिर किन्नरों के समान मधुर कंठ वाले लव और कुश।
वासव
1. अमरेश्वर :-[अमर + ईश्वरः] देवताओं का स्वामी, इंद्र की उपाधि ।
प्रेमदत्तवदनानिलः पिबन्नत्यजीवदमरालकेश्वरो। 19/15 प्रेमपूर्वक फूंक मारकर उनके मुख को चूमने लगता था, उस समय वह समझता था कि मैं इन्द्र और कुबेर से बढ़कर सुखी और भाग्यवान् हूँ।
For Private And Personal Use Only