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कालिदास पर्याय कोश यमकुबेर जलेश्वर वज्रिणां समधुरं मधुरञ्चित विक्रमम्। 9/24 यम, कुबेर, वरुण और इंद्र के समान पराक्रमी उन एकच्छत्र राजा का वसंत-ऋतु
भी। 2. पाशभृत :-[पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ् + भृत्] वरुण का विशेषण।
विसृष्टपार्थानुचरस्य तस्य पार्श्व दुमाः पाशभृता समस्य। 2/9 मानो मार्ग के वृक्ष वरुण के समान तेजस्वी राजा दिलीप की जय-जयकार कर
रहे हों, कि उनकी जय बोलने वाला कोई भी सेवक उनके साथ नहीं है। 3. प्रचेतस :-(पं०) [प्र + चित् + असुन्] वरुण का विशेषण।
हविषे दीर्घ सत्रस्य सा चेदानीं प्रचेतसः। 1/80 (अब इस समय तो कामधेनु मिल नहीं सकती), क्योंकि वरुणदेव पाताल में
एक बहुत बड़ा यज्ञ कर रहे हैं। 4. यादोनाथ :-[यान्ति वेगेन :-या + असुन्, दुगागमः + नाथः यादसां नाथः]
वरुण का नाम इन्द्रावृष्टिर्नियमितगदोदेकवृत्तिर्यमोऽभूद्यादोनाथः शिवजलपथः कर्मणे नौचराणाम्। 17/81 इन्द्र ने उनके साम्राज्य पर वर्षा की, यमराज ने रोगों का बढ़ना रोका, वरुण ने नाव चलाने वालों के लिए जल के मार्ग खोल दिए। वरुण :-[वृ + उनन्] समुद्र की अधिष्ठात्री देवता। अनुययौ यमपुण्य जनेश्वरौ सवरुणा वरुणाग्रसरं रुचा। 9/6 जैसे यम सबको एक समान समझते हैं, वैसे ही राजा भी सबसे एक सा व्यवहार करते थे। जैसे वरुण दुष्टों को दंड देता है, वैसे ही वे भी दुष्टों को दंड देते थे। तौ समेत्य समये स्थितावुभौ भूपती वरुणवासवोपमौ। 11/53 वरुण और इंद्र के समान उन दोनों प्रतापी राजाओं ने मिलकर शास्त्र की विधि से अपने ऐश्वर्य के अनुकूल।
वल्कल
1. चीर :-[चि + क्रन् दीर्घश्च] वल्कल।
अध्यासते चीरभृतो यथास्वं चिरोज्झितान्याश्रम मण्डलानि। 13/22 इन चीरधारी तपस्वियों ने समझ लिया है कि अब कोई खटका नहीं रहा और इसीलिए वे नई कुटियाँ बना-बनाकर, तपोवन में सुख से रहते हैं।
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