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रघुवंश
नरेन्द्रमार्गाट्ट इव प्रपेदे विवर्ण भावं स स भूमिपालः। 6/67 वैसे ही जिन-जिन राजाओं को छोड़कर इन्दुमती आगे बढ़ गई उनका मुँह उदास पड़ गया। ततः सुनन्दावचनावसाने लज्जा तनूकृत्य नरेन्द्रकन्या। 6/80 जब सुनन्दा कह चुकी तब राजा की पुत्री इन्दुमती ने संकोच छोड़कर अपनी हँसती हुई आँखें अज पर डालीं। रघोः कुलं कुड्मलपुष्करेण तोयेन चाप्रौढनरेन्द्र मासीत्। 18/37 इस बालक से राजा रघु का कुल वैसे ही शोभा देने लगा, जैसे कमल की कली से ताल शोभा देता है। तस्यास्तथा विधनरेन्द्रविपत्ति शोका दुष्णैर्विलोचन जलैः प्रथमाभि तप्तः।
19156 राजा की ऐसी दुःखद मृत्यु से महारानी की आँखों के गरम-गरम आँसुओं से
तपे हुए गर्भ पर जब। 21. नरेश्वर :-[नृ + अच् + ईश्वरः] राजा।
हेपिता हि बहवो नरेश्वरास्तेन तात धनुषा धनुर्भृतः। 11/40 इस धनुष के उठाने में बड़े-बड़े धनुषधारी राजा अपना सा मुँह लेकर रह गये। तमध्वराय मुक्ताश्वं रक्षः कपि नरेश्वराः। 15/58 कुछ दिन पीछे राम ने अश्वमेध यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा, विभीषण आदि
राजाओं ने राम के आगे धन की वर्षा कर दी। 22. नरोत्तम :-[न + अच् + उत्तमः] राजा, विष्णु का विशेषण।
निमिमील नरोत्तम प्रिया हृत चंद्रा तमसेव कौमुदी। 8/37 राजा अज की प्रियतमा ने व्याकुल होकर आँखें मूंद ली, मानो चंद्रमा को राहु ने ग्रस लिया हो। ता नराधिप सुता नृपात्मजैस्ते च ताभिरगमन्कृतार्थताम्। 11/56 उन चारों राजकुमारों को पाकर राजकन्याएँ और राजकन्याओं को पाकर राजकुमार निहाल हो गए। साधु दृष्ट शुभगर्भ लक्षणा प्रत्यपद्यत नराधिपश्रियम्। 19/55 राजा की उस पटरानी को सिंहासन पर बैठा दिया, जिसमें गर्भ के शुभ लक्षण दिखाई दे रहे थे।
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