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रघुवंश
289 जनक जी के जिस धनुष को कोई राजा झुका भी न सका, उसी को तूने तोड़
डाला। 3. विदेहाधिपति :-राजा जनक।
बभौ तमनुगच्छन्ती विदेहाधिपतेः सुता। 12/26 फिर भी उनके पीछे-पीछे चलने वाली जनक की पुत्री सीता।
य
यन्ता (यंता) 1. नियंता :-(पुं०) [नि + यम् + तृच्] सारथि, चालक।
न व्यतीयुः प्रजास्तस्य नियन्तुर्नेमिवृत्तयः। 1/17 प्रजा का कोई भी व्यक्ति मनु के बताए हुए नियमों से बहक कर चलने का साहस नहीं कर सकता था। शीर्षच्छेद्यं परिच्छद्य नियन्ता शस्त्रमाददे। 15/51 इसलिए राम ने निश्चय कर लिया कि इसका वध करना ही होगा, उन्होंने हाथ में
शस्त्र उठा लिया। 2. यंता :-(पुं०) [यम् + तृच्] सारथि, चालक।
अथ यन्तारमादिश्य धुर्यान्विश्रामयेति सः। 1/54 तब राजा दिलीप ने अपने सारथी को आज्ञा दी कि घोड़ों को ठंडा करो। अंकुशं द्विरदस्येव यन्ता गम्भीरवेदिनः। 4/39 जैसे मतवाले हाथी के माथे में हाथीवान अंकुश गड़ाता है। यन्ता गजस्याभ्यपतद्गजस्थं तुल्य प्रति द्वन्द्वि बभूव युद्धम्। 7/37 हाथी-सवार, हाथी-सवारों पर टूट पड़े, इस प्रकार बराबर जोर की लड़ाई होने लगी। प्रहार मूछपगमे स्थस्था यन्तृनुपालभ्य निवर्तिताश्वान्। 7/44 जो योद्धा चोट लगने से मूर्छित हो गए थे उनको उनके सारथी रथ पर डालकर
लौटा लाए। 3. रथयुज :-[रम्यतेऽनेन अत्र वा :-रम् + कथन्+युजः] सारथि ।
जिगमिषुर्धनपाध्युषितां दिशं रथयुजा परिवर्तित वाहनः। 9/25 सूर्य भी उत्तर की ओर घूम जाना चाहते थे, इसलिए उनके सारथी अरुण ने घोड़ों की रास उधर ही मोड़ दी।
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