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कालिदास पर्याय कोश कुछ दिन पीछे राम ने अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा वैसे ही सुग्रीव, विभीषण आदि ने। वेदिप्रतिष्ठान्वितताध्वराणां यूपानपश्यच्छतशो रघूणाम्। 16/35 वहाँ उन्हें बड़े-बड़े यज्ञ करने वाले रघुवंशी राजाओं के गाड़े हुए सैकड़ों यज्ञ के
खंभे दिखाई दिए। 2. इष्टि :-[इष्+क्तिन्] यज्ञ, कामना, प्रार्थना ।
आरेभिरे जितात्मनः पुत्रीयामिष्टि मृत्विजः। 10/4
ऋषियों ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करना प्रारंभ कर दिया। 3. क्रतु :-[कृ+क्तु] यज्ञ।
अजस्त्रु दीक्षाप्रयतः स मद्गुरुः क्रतो रक्षेषेण फलेन युज्यताम्। 3/65 यही वरदान दीजिए कि इस घोड़े के बिना ही सौ अश्वमेध यज्ञ करने का फल पा जायें। क्रतुषु तेन विसर्जितमौलिना भुजसमाह्यतिदग्वसुना कृताः। 9/20 उन्होंने अपने बाहुबल से चारों ओर का धन इकट्ठा किया था, उन्होंने ही अपना मुकुट उतार कर अश्वमेध यज्ञ करते समय। तस्या एव प्रतिकृतिसखो यत्क्रतूनाजहार। 14/87 अश्वमेध यज्ञ करते समय उन्होंने सीता जी की सोने की मूर्ति को ही अपने बाएँ
बैठाया था। 4. मख :-[मख् संज्ञायां घ] यज्ञ, यज्ञविषयक कृत्य।
ततः परं तेन मखाय यज्वना तुरंग मुत्सृष्टमनर्गलं पुनः। 3/39 तब दिलीप ने सौवाँ यज्ञ करने के लिए घोड़ा छोड़ा। मखांशभाजा प्रथमो मनीषिभिस्त्वमेव देवेन्द्र सदा निगद्यसे। 3/44 हे देवेन्द्र ! विद्वानों का कहना है कि यज्ञ का भाग सबसे पहले आपको ही मिलता है। त्रिलोकनाथेन सदा मखद्विषस्त्वया नियम्या ननु दिव्य चक्षुषा। 3/49 संसार में जो कोई भी यज्ञ में विघ्न डाले, उसे आप स्वयं दण्ड दें क्योंकि आप तो तीनों लोकों के स्वामी हैं। स्थाने भवानेक नराधिपः सन्मकिंचनत्वं मखजं व्यनक्ति। 5/16 चक्रवर्ती होते हुए भी यज्ञ में सब कुछ देकर और दरिद्र होकर आप।
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