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कालिदास पर्याय कोश
तस्यानलौजास्तनयस्तदन्ते वंशश्रियं प्राप नलाभिधानः । 18 /5
उनके पीछे उनके अग्नि के समान तेजस्वी पुत्र नल राजा हुए। 3. कृशानु :- [ कृश् + आनुक्] आग।
अथैकधेनोरपराधचंडान्दुरोः कृशानुप्रतिमाद्धिभेषि । 2/49
यदि तुम गौ के स्वामी और अग्नि के समान तेजस्वी गुरुजी से डरते हो तो । प्रदक्षिणप्रक्रमणात्कृशानोरुदर्चिषस्तन्मिथुनं चकासे । 7/24
अज और इन्दुमती जब हवन की अग्नि के फेरे देने लगे, उस समय ऐसा जान पड़ता था ।
हविः शमीपल्लवलाजगन्धीत्पुण्यः कृशानोरुदियाय धूमः ।
घी, शमी के पत्तों और धान की खील की गंध से भरा हुआ पवित्र धुआँ अग्नि से निकलकर ।
कृशानुरपधूमत्वात्प्रसन्नत्वात्प्रभाकरः । 10/74
अग्नि का धुआँ निकल गया और सूर्य भी निर्मल हो गए।
4. कृष्णवर्त्म : - [ कृष्+नक्+वर्त्मन्] आग।
आयोधने कृष्णगतिं सहायमवाप्य यः क्षत्रिय कालरात्रिम् | 6/42
ये राजा इतने बलवान हैं कि अग्नि की सहायता पा लेने से युद्ध में क्षत्रियों का संहार कर डालने वाले ।
श्रद्दधे त्रिदश गोपमात्रके दाहशक्तिमिव कृष्णवर्त्मनि । 11 /42
जैसे बीरबहूटी के बराबर नन्हीं सी चिंगारी में भी जलाने की शक्ति छिपी रहती है ।
5. जातवेद :- [ जन्+त+वेदः] अग्नि का विशेषण, आग ।
रघुपतिरपि जातवेदो विशुद्धां प्रगृह्य प्रियां विभीषणे संगमय्य श्रियं वैरिणः ।
12/104
राम ने रावण की राज्यश्री विभीषण को सौंप दी और फिर सीता जी को अग्नि शुद्ध करके ।
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तात शुद्धा समक्षं नः स्नुषा ते जातवेदसि । 15/72
राम जी ने कहा कि आपकी पतोहू सीता हमारे सामने ही अग्नि में शुद्ध हो चुकी हैं।
6. ज्वलन : - [ ज्वलत् + ल्युट् ] आग, अग्नि, तीन की संख्या ।