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रघुवंश
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नंदिनी
1. नंदिनी : - [ नन्द + णिनि, नन्द + णिच् + णिनि वा] पुत्री, कामधेनु ।
अनिन्द्या नंदिनी नाम धेनुराववृते वनात् । 1 /82
इधर वशिष्ठजी यह कह ही रहे थे कि नंदिनी गाय वन से लौटकर आ पहुँची । स नंदिनीस्तन्यमनिंदितात्मा सवत्सलो वत्सहुतावशेषम् । 2/69
जब बछड़ा दूध पी चुका और हवन भी हो चुका, तब सज्जनों के प्यारे राजा दिलीप ने वशिष्ठ जी की आज्ञा से नंदिनी का दूध ऐसे पी लिया ।
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वशिष्ठ धेनुश्च यदृच्छयागता श्रुतप्रभावा ददृक्षेऽथ नंदिनी । 3/40 ठीक उसी समय वहाँ वशिष्ठ ऋषि की प्रभावशालिनी गौ नंदिनी घूमती-घूमती चली आई |
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2. सुरभि सुता :- [ सु+रभ्+इन्+सुता ] कामधेनु, नंदिनी, 'सुरभि' नामक गाय की पुत्री ।
सुतां तदीयां सुरभेः कृत्वा प्रतिनिधिं शुचिः । 1 /81
तुम उनकी पुत्री नंदिनी को ही उनका प्रतिनिधि समझ लो और शुद्ध मन से उसकी सेवा करो ।
3. सौरभेयी : - [ सौरभ + ङीप्, सौरभेय + ङीप् ] गाय, 'सुरभि' नामक गाय की पुत्री, कामधेनु ।
निवर्त्य राजा दयितां दयालुस्तां सौरभेयीं सुरभिर्यशोभिः | 2/3
दयालु राजा दिलीप ने आश्रम के द्वार से ही रानी को लौटा दिया और स्वयं उस नंदिनी की रक्षा करने लगे ।
2. पुर : - [पृ+क] नगर, शहर ।
नगर
1. नगर :- [ नग इव प्रासादः सन्त्यत्र] कस्बा, शहर ।
तं तस्थिवासं नगरोपकंठे तदागमारूढ गुरुपहर्षः 1 5/61
वे बड़े प्रसन्न हुए और नगर के बाहर अज के पड़ाव में जाकर उनका स्वागत किया ।
अथाथर्वनिधेस्तस्रू विजितारि पुरः पुरः । 1 /59
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