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ग्रह
1. ग्रह :- पकड़ना, लेना, ग्रहण करना, लेना । अमोघाः प्रतिग्रह्णन्तावर्ध्यनुपदमाशिषः । 1/44
3.
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कालिदास पर्याय कोश
ब्राह्मणों ने पहले तो अर्ध्य भेंट करके उनकी पूजा की और फिर उनको ऐसे आशीर्वाद दिए जो कभी निष्फल हो ही नहीं सकते थे ।
तयोर्जगृहतुः पदान्राजा राज्ञी च मागधी । 1/57
राजा दिलीप और मगध की राजकुमारी सुदक्षिणा ने चरण छूकर उन्हें प्रणाम
किया।
तदुपस्थितमग्रहीदजः पितुराज्ञेति न भोगतृष्णया । 8/2
उसी राज्य को अज ने केवल पिता की आज्ञा मानकर ही स्वीकार किया, भोग की इच्छा से नहीं ।
पश्चाद्वनाय गच्छेति तदाज्ञां मुदितोऽग्रहीत्। 12/7
जब उनसे कहा गया कि वन चले जाओ, तब राम ने इस आज्ञा को हँसते-हँसते स्वीकार कर लिया ।
अन्वग्रहीत्प्रणमतः शुभदृष्टि पातैर्वार्तानुयोग मधुराक्षरया च वाचा। 13/71 राम ने प्रेम भरी आँखों से मधुर भाषा में उनसे कृपापूर्वक कुशल मंगल पूछा। न्यस्ताक्षराम क्षरभूमिकायां कार्त्स्न्येन गृह्णाति लिपिं न यावत् । 18/46 अभी वे पटिया पर भली भाँति अक्षर भी लिखना नहीं सीख पाए थे। 2. दद् :- देना, प्रदान करना ।
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धनुरधिज्यमनाधिरूपाददे नरवरो रवरोषितकेसरी । 9/54
तब उस सुंदर स्वस्थ राजा ने अपना वह चढ़ा हुआ धनुष उठाया, जिसकी टंकार सुनकर सिंह भी गरज उठे ।
शीर्षच्छेदं परिच्छद्य नियंता शस्त्रमाददे | 15 / 51
राम ने निश्चय कर लिया कि इसका सिर काटना ही होगा, उन्होंने हाथ में शस्त्र उठा लिया।
दा: - देना, स्वीकार करना ।
मायाविभिरनालीढमादास्यध्वे निशाचरैः । 10 / 45
उसे अब राक्षस लोग छीनकर नहीं खा सकेंगे, सब आप लोगों को ही मिलेगा।