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पृष्ठाङ्काः
२२८ ३०, १२४
विहायस्
३०
२५१
१३८
५७
१४७ २४९
विहीन
१४८
विहृत्
'वी'
५४८ अकारादिशब्दाः विसजन्ति विसृजेत् विसृजेताम् विसृजेयुः विस्त विस्तरण विस्ताकर 'विस्तृणते' विस्तृणन्ति विस्तृणाति विस्तृणाने विस्तृणीत विस्तृणीत: विस्तृणीते विस्तृणीयात् विस्तृणीयाताम् विस्तृणीयाताम् विस्तृणीयुः विस्तृणीरन् विस्तृति विस्तृनिर्दाहति विस्फुलिङ्गिनी वित्र विहग विहगाधिप विहङ्ग विहङ्गकल्लोक विहङ्गम विहङ्गराज विहान विहाय
ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः १७२ विहाय: शिरोरुह १७२ १७२
| विहायस १७२ | विहायसा
| विहायित १३७ | विहार १३७ | विहारस्थान १९५ | विहारिन् १९५ विहित १९५ १९५ १९५ | विहत १९४ विहत्य=(परिहत्य), १९५ १९५ । वीक्षण १९५ वीक्षणसमागम १९५ | वीक्षणीय १९५ 'वीक्षते' १९५ | वीक्षन्ते १३७ | वीक्षा १३८ | वीक्षित
२३९ | वीक्षितव्य ४४, २४२ / 'वीक्षेन' २९, २२२, २४६ / वीक्षेते
२२१ | वीक्षेयानाम् २२२ | वीक्षेरन्
वीक्ष्य
| वीक्ष्यमाण २१ | वीचिमालिन्
१२ | वीजवर ९३, १४८ | वीजसमुद्भव
२१३, १४५
१४७ १४५ १८८ १८८
१४५
१४५ १४५
१८८ १८८
१८८ १८८
१४५, १४५, १४८
२१८ २०२
१४०
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