SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 428
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६ ४१६ ज्योतिर्विज्ञानशब्दकोषः अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः । अकारादिशब्दाः पृष्ठाङ्काः द्विजराजसुत | द्विदैवत द्विजराजसूनु ४६ | द्विदैवत्य द्विजराजाङ्गसम्भव ४६ | द्विद्वादश=(योगविशेष:) द्विजाधिराज द्विद्विक द्विजायन १३४ | द्विधा द्विजालय द्विनवक द्विजिह्व द्विनवत द्विजेन्द्र द्विनवति ७४, ८४, ८८ द्विजेश ३८ | द्विनवतितम द्वितनु २८ | द्विनायक द्वितय १२१ | द्विप ७, ७६, २३२ द्वितयी (युग्मा) ७४ (द्विपञ्चक द्वितीय २५, ८४ | द्विपञ्चाश द्वितीयगुण २१४ द्विपञ्चाशत् द्वितीयशीघ्रकेन्दर १०६ द्विपञ्चाशत्तम द्वितीयशीघ्रफलाखिल १०६ | द्विपद २८, १३४, २१५ द्वितीया २, २, ३, ८४, २०८ द्विपाद द्वित्रा ८८ | द्विपादनक्षत्र द्वित्रिंश द्विपायिन् |द्विपारि द्वित्रिंशति | द्विपारिभ द्वित्रिंशतितम ८६ | द्विपुष्करयोग=(योगविशेष:) द्वित्रिंशत्तम ८६ | द्विप्रकृति २८ द्विदन्त द्विमूर्ति द्विरद २३२, २६० द्विदशक द्विरदान्तक २३१ द्विदशतम द्विरसन ६, २२३ द्विरा द्विदेवता द्विरागम १३७ द्विदेवा द्विरागमन १३७ द्विदेह २८ | द्विरात्मक (द्विस्वभाव राशि:), २३२ द्वित्रिंशत् २६ ८ २८ द्विदश द्विदशन् For Private and Personal Use Only
SR No.020421
Book TitleJyotirvignan Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurkant Jha
PublisherChaukhambha Krishnadas Academy
Publication Year2009
Total Pages628
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy