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भाग (2) जैन सिद्धान्त व प्राचार विभाग:-- (अ)
3A 45 852 प्रक्षर बत्तीसियें व अक्षर बावनी Aksar Battisiyen & Aksar रुप कबि
कोलडी
Bāvani
के. नाथ 6/121 | अक्षर बत्तीसी
,,
Battisi
सेवामंदिर 2/420| अठारह पापस्थान
Athārah Pāpsthān
ऋषि लालचंद
कुंथुनाथ 23/8 | अठारह पापस्थान निवारण | , , Nivaran, ब्रह्म के. नाथ 26/89 गु. अठारह पापस्थान सज्झाय | , , Sajjhāya | प्राशकरण कोलड़ी 1335 | अट्ठाइस लब्धि व जलविचार | Athais Labdhi ar Jalvicar कुंथुनाथ 52/25 | अध्यात्मक कल्पद्रुम Adhyātm Kalpdrum मुनि सुन्दर मू. (प.) कोलड़ी 896 के नाथ 11/56 कोलडी 893
+वृति
, +Vrti मुनि सुंदर रत्नचंद्र गणि म.व. (प.ग.) , 851
| अध्यात्मक कल्पद्रुम भाषा महावीर 2/29
, , Vrti मुनि सुंदर रत्नचंद गणि मू.वृ. (प.ग.) के नाथ 26/56 | अध्यात्म बत्तीसी
,, Battisi
सुमति कोलड़ी 954 अध्यात्म शैली
,, Saili
" Bhasa
,
-वृति
,, Sārmāla
नेमीचंद(रामजी का पुत्र) प.
| के नाथ 1 5/137 अध्यात्म सार माला
, 24/44 | अनुकम्पा चौपई
Anukampā Caupai
| ऋषि जयमलजी
प्रोसियां 2/243 | अनुकम्पा ढाल
___,
Dhal
प्रज्ञात
18
महावीर 2/18
-आनंदविजय गणि मुव. (प.ग.)
नाय उछगहरण कुलक-वृति Annāy Uchgahankulak+
Vști अन्यमत समन्वय
Anyamat Samanvaya
19
कोलडी 894
20
प्रोसिया 2/416| अभव्य कुलक
Abhavya Kulak
मू. (प.)
,,
2/151 | अर्थ सत्तरी+बाला.
Arth Sattari+Bala.
चन्द महत्तरा महासती/- मू बा.
2/293 | अवधि जान का विस्तार
| Avadhi Jhān ka Vistar
अज्ञात
मुनि सुव्रत 2/332| अवधि ज्ञान गुणस्थान चर्चा
,, Gansthan Carcal
कोलड़ी 1334
अष्टक सूत्र
Aştak Sütrā
| हरि भद्र
| के. नाथ 14/43 | ,
,
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