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जैन पागम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक :--
[81
11
6 7 8 अंत समय अाराधना | प्रा.सं.मा. 5
प्रा.मा. | 9
8A
9 10 | 26 x 10 x 6 x 36 | संपूर्ण 70 गाथा 1713 | 25 x 11x5x32 ,, 70 ,, ग्रं. 300 1716
26 x 12425 x 12 प्रथम पूर्ण द्वितीय में 38 गा| 1861/19वीं 24से25 x 11से13 | संपूर्ण 70 गाथा 19/20वीं
प्रा.मा.
8
19x11x7x24
,
19वीं
प्रा.सं.
5
27x12x17x50 संपूर्ण 69 गाथा की ग्रं.325| 20वीं
आहार नियम साधुनों
| 26 x 11 x 13 x 45 संपूर्ण 103 गा. की । | 1775 27x11 x9x37 अपूर्ण 97 गा. की अंतिम 15वीं
पन्ना कम 53 | 27x11x9x36 | संपूर्ण
1580 123* | 26 x 12 x 11x40 | 103 गाथा 16वीं
प्रा.मा.
प्रा.मा.
26x11x5x28
,, 104 गाथा/ग्रं.925 1684
प्रा.सं.
6
26x11x11x36
104 गाथा अवचूरी 17वीं
40 तक
प्रा.
26x11x12x39
, 103 गाथा/ग्रं.131 17वीं
प्रा.सं. | 50
26x11x17x56
,, ,, की/ग्रं.2800
18वीं
26x11x14x50
19वीं
___xx x
26x11x13x40 | अपूर्ण 28 गाथा का
प्रा.मा.
| 19वीं
X
प्रा.सं.
7
26 x 52
103 गा. की
| 19वीं
प्रा.मा.
127x11x14x43 | संपूर्ण 103 गाथा का
19वीं
प्रा.
129x 13x10x30
,, 109 गाथा
19वीं अजमेर | अपर नाम सुयहील
गुप्पाति
| 26x11x11x34
17वीं
26x11x14x42
19वीं
28x14x16x44
, 120 गाथा की | 20वीं
चन्द्र वेध्यक, देवेन्द्र स्तव,च उसरणा,अजी वकल्प. गच्छाचार, तंदुल वैचारिक गणि विद्या महाप्रत्याख्यान वीर स्तव, प्रारंभ के 4 अपठनीय
| 23x12x15x29 | कुल 13 प्रकीर्णक
| 20वीं x भीम
सागर
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