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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन पागम-अंग बाह्य-प्रकीर्णक :-- [81 11 6 7 8 अंत समय अाराधना | प्रा.सं.मा. 5 प्रा.मा. | 9 8A 9 10 | 26 x 10 x 6 x 36 | संपूर्ण 70 गाथा 1713 | 25 x 11x5x32 ,, 70 ,, ग्रं. 300 1716 26 x 12425 x 12 प्रथम पूर्ण द्वितीय में 38 गा| 1861/19वीं 24से25 x 11से13 | संपूर्ण 70 गाथा 19/20वीं प्रा.मा. 8 19x11x7x24 , 19वीं प्रा.सं. 5 27x12x17x50 संपूर्ण 69 गाथा की ग्रं.325| 20वीं आहार नियम साधुनों | 26 x 11 x 13 x 45 संपूर्ण 103 गा. की । | 1775 27x11 x9x37 अपूर्ण 97 गा. की अंतिम 15वीं पन्ना कम 53 | 27x11x9x36 | संपूर्ण 1580 123* | 26 x 12 x 11x40 | 103 गाथा 16वीं प्रा.मा. प्रा.मा. 26x11x5x28 ,, 104 गाथा/ग्रं.925 1684 प्रा.सं. 6 26x11x11x36 104 गाथा अवचूरी 17वीं 40 तक प्रा. 26x11x12x39 , 103 गाथा/ग्रं.131 17वीं प्रा.सं. | 50 26x11x17x56 ,, ,, की/ग्रं.2800 18वीं 26x11x14x50 19वीं ___xx x 26x11x13x40 | अपूर्ण 28 गाथा का प्रा.मा. | 19वीं X प्रा.सं. 7 26 x 52 103 गा. की | 19वीं प्रा.मा. 127x11x14x43 | संपूर्ण 103 गाथा का 19वीं प्रा. 129x 13x10x30 ,, 109 गाथा 19वीं अजमेर | अपर नाम सुयहील गुप्पाति | 26x11x11x34 17वीं 26x11x14x42 19वीं 28x14x16x44 , 120 गाथा की | 20वीं चन्द्र वेध्यक, देवेन्द्र स्तव,च उसरणा,अजी वकल्प. गच्छाचार, तंदुल वैचारिक गणि विद्या महाप्रत्याख्यान वीर स्तव, प्रारंभ के 4 अपठनीय | 23x12x15x29 | कुल 13 प्रकीर्णक | 20वीं x भीम सागर For Private and Personal Use Only
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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