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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जैन तात्त्विक प्रोपदेशिक व दार्शनिक : पदेशिक सुभाषित सं = "" " 21 "" जैन सुभाषित श्रौपदेशिक 6 17 "" श्रीपदेशिक सुभाषित मा. सिद्धान्त उपदेश सं. कथासह "" " "1 " 31 11 ध्यान योग विषयक मा. धार्मिक सुभाषित प्रा.सं.मा 9 39 हि सं. हि 12 व्रतों पर उपदेश मा. चार पुरुषार्थ उपदे प्रा.सं. he 7 प्रा.सं. 11 (जैन) संमा. " "3 "1 "1 8 17 गुटका 13 6 10* 13,3, 9 प्रा.सं.मा. 13,9 181 65 73 6 4,6 4 8 8 9 11 8 13 10 15 www.kobatirth.org 8 A 30 × 11 × 14 × 45 लगभग पूर्ण अंतिम पन्ना कम 19वीं 24 x 9 x 14 x 60 संपूर्ण 100 श्लोक का 19वीं 101 छंद 24 x 1 x 15 x 48 22 x 17 - 23 x 13 x 11 × 39 त्रुटक 26 × 12 × 15 × 42 संपूर्ण 14 गा. 23 x 12 x 5 x 38 संपूर्ण 63 श्लोक 26 × 12 × 13 × 36 प्रतिपूर्ण 161,53,243 20वीं श्लोक "1 " 3 1 × 15 × 12 × 40 संपूर्ण 187 दोहे 25 x 1 x 12 x 41 ग्रं 6001 26 × 11 × 17 x 58 25 × 11 × 18 x 66 24 x 10 x 7 x 34 26x1125 x 12 11 13 "1 11 27 x 10 व 25 x 11 14 × 11 × 12 × 20 संपूर्ण 36 पद 2 5 × 1 1 × 16 x 40 23 × 10 × 15 × 48 संपूर्ण 26 x 11 x 13 x 38 " 9 2806 श्लोक 2170 श्लोक 68 श्लोक 19वीं प्रथम पूर्ण, द्वितीय पूर्ण 19वीं וי 100 "1 11 187 गा. चारों पुरुषार्थ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 177 गा. 198 गा. For Private and Personal Use Only 25 x 12 x 15 x 46 25 x 12 x 16 x 40 27 x 14 × 15 x 43 20 वीं 25 x 11 x 15 x 30 19वीं 8,13,1025 से 27 x 11 से 13 प्रथम दो पूर्ण, तीसरी अपूर्ण 19वीं 1861 19वीं 19वीं 19वीं 19वीं नागौर 19वीं 20वीं 16at 1767 19वीं 1841 10 1805 1812 1832 19वीं 1866 [ 173 11 साथ में अन्य स्तवनादि भी हैं प्रशस्ति है 81 श्लोक ज्योतिष है 1754 की कृति
SR No.020414
Book TitleJodhpur Hastlikhit Granthoka Suchipatra Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSeva Mandir Ravti
PublisherSeva Mandir Ravti
Publication Year1988
Total Pages558
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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