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भाग (2) जैन सिद्धान्त व प्राचार विभाग:-- (अ)
5
1 2
3 419 | के.नाथ 11/114 | चौवीस दण्डक स्तवन
3A
4 | Cauvisa Dandaka Stavana | धर्मसी वाचक विजय- पद्य
हर्ष शिष्य
420 | महावीर 2/72
धर्मसिंह
421
के.नाथ 15/125
422-3
,2 प्रतियां
2 copies
424
कोलड़ी गुटका
2/7,7/7 प्रोसियां 2/194 कोलड़ी गुटका 2/6/ मुनिसुव्रत 3इ311
ज्ञानसार (रत्नराज
का शिष्य
मुनिखेम
427
महावीर 3इ30
जयदेवसूरि का शिष्य
तापगच्छ
कुंथुनाथ 19/10
मू.ट. (प.ग.)
430
के.नाथ 18/74
Chah Mahāvrata Sajjhāya] कांतिविजय अतिचार विचार
Aticāra & Vicāra कुंथुनाथ 5/108 | जंबूस्वामी पृच्छारास Jambāsvami Prcha Rāsa | वीरमनि के नाय 26/47 | जिनबारष (गाफिलगीत) | Jinabārasa (Gifilagina) विनयचंद
431
432
Jinavara-darsana Stava
पद्मनंदि
| कुंथुनाथ 36/
1 जिनवरदर्शन-स्तव क्रम 12
433 | के नाथ 1/15
- जीवाजीव-विचार+वृति
| Jivajiva Vicāra
शांतिसूरि मेघनंदन । मू वृ. (प.ग.)
434
, 6/105
शातिसूरि
मू.प.
435
437
.., 14/10 मुनिसुव्रत 2/330 प्रौसियां 2/209 के.नाथ 6/38 सेवामंदिर 2/357
मुनिसुव्रत 2/336 441 कोलड़ी 66 442-3/ ., 68,69 444 प्रोसियां 2/207
440
.,
वृत्ति
+Vrtti
ईश्वराचार्य मूवृ. (प.ग.)
2 प्रतियां
2 copies
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