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102 ]
भाग (2) जैन सिद्धान्त व प्राचार विभाग :- (अ)
3A
5
मू +बा
259 | सेवा मदिर 2/353/ कर्मा कर्मादि प्रकरण - बा. | Karmakarmādi Prakarana गजसार | कोलडी । 238 कर्मबध हेतु रचना Karma bandha Hetu
racana 261 के नाथ 3/22 कम प्रकृति
Karma Praksti
260
मू. (प)
मू.ट.
262
+Vrtti
मू व. (प.ग )
| ., 2931
,, 29/32
+ वृत्ति की टीका
263
,
,
Tikā
मयलगिरि
264
मेवा मदिर 2:353/ कर्म का बंध व जीव भेद
विचार + बा.
Karma bandha & Jiva bh- अज्ञात
eda vicara
मू बा. (प.ग.
265
के नाथ 1612
कर्मों की पाठ मुल प्रकृति | Karmon kiAtha Mala Pr
aksti , 158 उत्तर प्रकृति , 158 Uttara Pr.
aksti
266 - मुनिसुव्रत 2/204
| कोलडी ।।3 | गोमियां 2/177.
78 19/92
,
, 2 प्रति
,प्रकृति विचार
,
Prakrti
Vicāra
271
14/1|| कर्मछत्तीसी
Karma Chattisi
समयसुन्दर
272
... 14/10
273
26 103 गृ कर्मवत्तीय
Karma Battisi
274
... 2945 | कवित्तबावनी
Kavitta Bāvani
लक्ष्मीवल्लभ गणि
महावीर 2/130 कस्तुरी करण
Kastūri Prakarana
हेमविजय
कथनाथ 36/1
कानाताप नाशिका
Kāmaksā Pancasına
277
प्रोमियां 2/189
कायस्थितिविचार । बा
| Kayasthiti Vicāra-+-Ba a
मूबा.
महावीर 2/12
.
स्तोत्र
Stotra
कुनमंडन
मु अ (प ग.)
श्रा यां 2 214 कालमत्तरी
Kala Sattari
धर्मघोष देवेन्द्र सूरि । मु. पद्य
का शिष्य
महावीर 260
के नाथ 18/35
मू.
ट. (प.ग.)
282
महावीर ?/005 केवलसतावनी
Kevala sa rāvani
ब्रह्मरूप संवेगी
283
सवा मदिर गुटका के शीदिपनगगिका
Kesi Dvi Pancasika
पार्श्वचंद
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