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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
जैन तात्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
कर्म सैद्धान्तिक
J
"
11
11
"
"
1
11
6
"
"
31
"
11
"
साहित्य
=
=
S
प्रा.
-
7
प्रामा.
प्रासं
बोलनुमा मा.
प्रामा
स.
:
7
5
25
29
18
47
21
39
3
16
23
21
21
6
9
8
9
13
8
73
45
39
14
11
8 A
25 × 11 × 12 × 33 सपूर्ण 86 गाया
26 x 11 x 13 x 41
30 x 14 x 13 x 36
www.kobatirth.org
22 x 13 x ---
27 x 12 x ---
25 x 12 x
25 × 12 x
25 × 11 × 17 × 48
26 × 11 × 18 × 56 संपूर्ण 100 गाथा का
25 x 12 x 4 x 34
19 त्रीं
संपूर्ण 100 गाथा का ग्रंथाग्र 350 27 × 1 1 × 15 × 60 अपूर्ण, पूरी 89 गाथा की 1624 ग्रं. 3880
26 × 11 × 19 × 64 संपूर्ण 93 गा. ग्रं. 1500 17वीं x ऋषि
शारणा
2, x 13 x -
26 × 11 × 23 x 76
त्रुटक सिर्फ 3 पन्न हैं 24,29 व प्रतिम
26 × 11 × 18 × 56 संपूर्ण 86 गाथा का
25 x 12 x ---
संपूर्ण
25 × 13 x ---
26x12x
26 × 13 × --
28 × 14 x ---
27 x 13 x 10 x 28
26 x 13 x 15 x 43
25 × 12 x ---
26 X 12 X
18वीं
18वीं
अपूर्ण गाया 70 तक ही 19वीं
लगभग पूर्ण अंतिम पन्ना
कम
"
:
=
:
:
9
पूर्ण आदि अंत रहित
13
37
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ग्रंथाग्र 1005
त्रुटक
प्रतिपूर्ण
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10
1727
19वीं
18वीं
18वीं
1890, इच्छावर सेवाराम
20वीं
संपूर्ण
20 त्रीं
अपूर्ण प्रारंभ के 2 पन्नो कम 20वीं
सपूर्ण
1907, अजमेर.
रिबलाल
20 वीं
19वीं x पोखर
दत्त
1932
1890. अजमेर, रिखलाल
1902
1932
19वीं
20वीं
20 त्रीं
त्रुटक
[ 101
।।
गत प्रति की ही
नकल
(1875 की कृति
यां हैं)