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[ ३८ ] सम्मूच्छिम खेचर तथा भुजपरिसर्प जीवों का शरीर-मान, धनुष-पृथक्त्व है. सम्मूच्छिम उर:परिसर्प जीवों का शरीर-मान, योजन-पृथक्त्व है. सम्मूच्छिम चतुष्पद-चार पैर वाले जीवों का शरीर-मान गव्यूत-पृथक्त्व है।
प्र० पृथक्त्व किसको कहते हैं ?
उ०- दो से लेकर नव तक की संख्या को पृथक्त्व कहते हैं ।
"गर्भज चतुष्पद तिर्यञ्च तथा मनुष्य का शरीर मान ।" छच्चैव गाउआई, चउप्पया गव्भया मुणेयव्वा । कोसतिगं च मणुस्सा, उक्कोस सरीरमाणेणं ॥३२॥
(चउप्पया गन्भया) चतुष्पद गर्भजेां का शरीरमान (छच्चेव गाउआई) बहः कोस का (मुणेपव्वा) जानना (च) और (मणुस्सा) मनुष्य (उक्कोससरीरमाणे) उत्कृष्ट शरीर-मान से (कोसतिगं) तीन कोस के होते हैं ||३२|
भावार्थ- देवकुरु आदि क्षेत्रों में चतुष्पद गर्भज हाथी का शरीर मान छः कोस का है तथा देवकुरु आदि के युगली मनुष्यों के शरीर की ऊँचाई, अधिक से अधिक तीन कोस की होती है ।
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