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जिणपइट्टा, ह्राणंनेवजदाणंच ॥ ४॥ पूएइ मूलपडिमंपि, साविआ चिइनिवासि सम्मत्तं, गब्भापहारकल्लाणपि, न हु होइ वीरस्स ॥५॥ कीरइ मासविहारोहु, णासाहूहिअ नस्थि किरदोसो, पुरिसित्थि ओविपडिमा, वहंतितत्थाइमा चउरो ॥६॥ कंडुअ संगरिआओ, नहुँतिबिदलं न विरुहगाणंतं, नयसिवइवोराअं, सचित्तं सिंधवोदरका ॥७॥ इरिआवहिअंपडिकमिअं, जोजिणाईणपूअणाइपुरो, कुजाइरियं पडिकमिअ, कुणई किइकम्मदाणाई ॥ ८॥ विहिचेइअनामंपिहुं, न जुत्तमेअंजमागमेणुत्तं, निस्साकडाइ जिणचेइआई, लिंगीहिं वि जुआई ॥९॥ तत्तिअमित्तंकुजा, जत्तिअमित्तं जलादि जिजा, अजिअजलाहारिगिहि, पाणागारे समुच्चरह ॥ १०॥ उग्गएसूरे सूरुग्गमेअ, भणिमि नत्थि किरदोसो, एगजुगेजुगपवरा, दसपंच हवंति नहुएगो ॥ ११ ॥ बत्तीसंदेविंदा चउसट्टीने अहुंति जिणपयडा, पूआ अट्टविअप्पा, पास सुपासान नव ति फणा ॥१२॥ नवसत्तपण फणंसो, पासंकीलावइ जिणं पासं, तिप. णफणाइ सुपासं, भणिअ पढमाणुओगम्मि ॥ १॥ इति विचारसारग्रंथे । खीरघएहिंहाणं, जिणपडिमाणं जओ जुत्तमिणं, दवत्थओत्तिकाउं, गिहीणमुचिआ जिणपइटा ॥ १३ ॥ कत्तिा अमाव. साए, पछिमरयणीइवीरपडिमाए, कीरइ न्हाणंपूआ, वाइअमहनहिगीअंच ॥ १४ ॥ लउड़ारसोविहिजइ, विहिजिणभवणंमि सावएहिंपि, वासाणसुसणमंदोलणं च तत्थेव जलकीलं ॥ १५ ॥ माहे मालारोवणमिहकीरंतंच साहए सिद्धिं, मालग्गहणे दाणे, जिणाण रयणीइ को दोसो ॥१६॥ दवणयरसिहाबंधो, मुद्दाकलसेसु वासखे
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