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विहिण, तो सयलकुशलकिरिआफलाणसिद्धाण पढइ थयं ॥ २० ॥ अहसुअसमिद्धिहेउ, सुअदेवीएकरेइ उस्सग्गं, चिंतेइ नमुक्कारं, सुणइ व देई व तीइथुअं ॥२१॥ एवं खेत्तसुरीए, उस्सग्गं कुणइ सुणइ देइ थुअं, पढिअंच पंचमंगलं, उबविस्स पमझसंडासं ॥ २२ ॥ पुन्वविहिणेव पेहिअ, पुत्तिदाऊण वंदणं गुरुणो, इच्छामो अमुसदिति, भणिअ जाणुहि ताठाइ ॥ २३ ॥ गुरुथुइगहणेतिनिवद्धमाणरकरस्सरा, पढइ सकत्थयं थवं पढिअ, कुणइ पछित्तमुस्सग्गं ॥ २४ ॥ एवंतादेवसिअ, राइअस्सवि एवमेवनवरितहिं, पढमंदाउ मिच्छामिदुक्कड पढइ सकत्थयं ॥ २५ ॥ उट्टि करेइ विहिणा, उस्सग्गं चिंतएअ उज्झोअं, बीअंदसणसुद्धीए, चिंतएतत्थवि तमेव ॥ २६ ॥ तइए निसाइआरे, जहकमं चिंतिऊणपारेइ, सिद्धत्थयं पढित्ता, पमज्झ संडासमुवविसए ॥ २७ ॥ पुधिवपोत्ति पेहण, वंदणमालोअसुत्तपढणंच, वंदण खामण वंदण, गाहातिगपढणमुस्सग्गो ॥ २८ ॥ तत्थयचिंतइ संजम, जोगाण न जेण होइ मेहाणी, तंपडिवज्झामि तवं, छम्मासंती न काउमलं ॥ २९ ॥ एगाइ गुणतीसूणिअंपि, न सहो न पंचमासमवि, एवं चउतिदुमासं, नसमत्थोएगमासमपि ॥ ३० ॥ जातंपितेरसूणं, चउतीसइमाइ तो दुहाणीए, जावचउत्थं आयंबिलाइ, जापोरसिनमोवा ॥३१॥ जंसकइ तंहिअरा, धरित्तु पारितु पेहएपोत्ति, दाउंवंदणमसढो, तंचित्र पञ्चरकई विहिणा ॥ ३२ ॥ इच्छामोअणुसहित्ति, भणइ उवविसिअ पढइ तिनिथुई, निसदेणं सकस्थवाइ, तो चेइएवंदे ॥ ३३ ॥ अहपरिकअचउद्दसिदिणंमि, पुव्वं च तत्थ देवसिअं, सुत्तंतं पडिकमिउं,
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