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Achar
३५५
तृतीय उदय वर्ष १४६७ युग प्रधान १८ यु.प्र.९४ १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२/१३१४/१५
व.प. ८२ २०४०५०३० यु. प्र. ९४५५० ३०५०
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सर्वायु १००७५
६९५९०
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इत्यादियत्रकोष्टकओरविजाणना, यथादृष्टलिखाहै ऊपरोक्तयुगप्रधानोंकेनामक्रममें भि आगेपीछेपणासंभवेहै, और एक युगप्रधानकेनाम स्थानमें २-३ नामान्तरभिदेखणेमें आवे है, और प्रायें बहुत ठिकाणे एसा है, पर्यायान्तरभिसंभवे है, और युगप्रधानोंकाक्रमभि प्रायें लिखेप्रमाणे बरोबर नहिं मिले है,
और सर्वायुवर्षसंख्यावगेरेभिप्रायेंबरोबरनहिमिलता है और लिखेहुवे यंत्रादिककेसाहायसें कितनेकयुगप्रधानोंकेकेवल नाम मात्रतो प्रायें मिलते हैं, और पूर्ण विश्वासुकपणे सर्व इष्टसिद्धि नहीं होसके है, परंतु मेने तो जैसाअक्षरदेखावैसालिखा है, अब विशेषपणे अधिकृत विषयकों लिखदिखाते हैं, कि-सामान्य यंत्र विशेषयुगप्रधानयंत्र सर्वसामान्ययंत्र छुटकरयंत्र इनमें युगप्रधानौका विषय है और यहयंत्रदेखने भिआतें हैं प्राचीनमि है तथापि यथावस्थितप्रमाणसहनशील नहींहै नमालूम क्या कारण है सो ज्ञानिगम्य है प्रसिद्ध अप्रसिद्धपणेंमें नजाणेक्या कारण है कितनेक युगप्रधानतो प्रसिद्ध हैं और कितनेक युगप्रधान अप्रसिद्ध हैं, इतिहास वगेरेमें, गौण मुख्य नाम नामान्तर भेदहोणेंसें, पठनलिखनकीअभ्यासप्रवृत्तिकेअभावसें, सत्संप्र
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