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जी महाराजका आशीवाद मिला तद्नंतर उनोंके पत्र श्री इन्दोरके श्रीसंघने आगमश्रवणनिमित्त आपश्रीकों नागपुर विनंतीपत्र भेजा तव नागपुर मे आपश्री पन्नवणासूत्रवृत्ति प्रवचनसारोद्धार प्रकरणवृत्ति वाचतेथे, सो पूर्णकरके, वाद आप श्री इन्दोर पधारे वहां श्रीसंवके आग्रहसें पर उपगारार्थ ४५ आगमोंकी वाचना मे कितनकभगवतीपन्नवणा आवश्यकबृहद्वृत्ति १० पवन्नानंदीवगेरह वांचे, वादकुछकालतक विचरतेर है, अमदावाद पालीताणा गिरनार संखेसर भोयणी तारंगाजी विबडोद सेमलीयाजीवंतीजी मकसीजी वगेरा जात्रा करतेहूवे तराणें कायथे पधारे, और वहां आपने बहुत उपगार किया, वाद आपनें श्रीघुलेवाजीकी जात्राके लिये उपदेश किया, वह उपदेश कायथेवालोनें मिलकरमंजूर किया, अंदाजन ४०-५० आदमीयोंकि साथ आप श्री धुलेवा पधारे, बादमे आपश्रीनें ५२ की सालका चोमासा उदेपुरकिया, तवमुनिराज दोठाणा थे, खेर वाडेके मंदिरकी प्रतिष्ठा करी पंचसमितितीनगुपतियुक्त साधुमुनिराज - विचरतेभये, वाद यथार्थ साध्वाचारकों पालते रहै, चोमासे वादक्रमसें विहारकरतेहूवे, आप श्रीदेसुरी पधारे, और गोढवाल मे उपदेश करके नाडलाइ वगेरेके मंदिरों का जीर्णोद्धारका उपदेश कीयाऔरभया वाद त्रेपनकी सालका चोमासा देसुरी किया, वाद ५४-५५-५६-५७-५८ जोधपूर में भगवतीवांची जेसलमेर भगवतीवां० फलोधिमें भगवतीवां ० बीकानेर में ठागांगवृत्ति जेतारण में भगवतीवांची क्रम से चोमासे किये, बाद गोढवालसंबंधि मोटी छोटी पंचतीर्थीक जात्राकरतेहूवे, जालोर आहोर गडे कोटडे पावटे जात्रा करतेहूवे, आनंदमुनि जय मुनि नामक साधु २ सहित आप श्री सिवगंजपधारे, और वहां श्री फूलचंदजी गोलेछाका फलोधीसें संघ आया
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