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नमः समन्तभद्राय। स्याद्वादग्रंथमाला।
स्वामि समन्तभद्राचार्यविरचित
जिनशतक। भव्योत्तम नरसिंहभट्टकृत व्याख्या
तथा चावलीनिवासी श्रीयुत पंडित लालारामजीकृत
भाषानुवादसहित
जिसको पन्नालाल बाकलीवाल मालिक-स्याद्वादरत्नाकर कार्यालयने
काशीके लक्ष्मीनारायणप्रेसमें सीताराम दिनकर जटार प्रोप्रायटरके
प्रबंधसे छपाकर प्रसिद्ध किया ।
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वीर संवत् २४३८ । ईस्वीसन् १९१२ ।
प्रथमावृत्ति ]
[न्योछावर )
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