________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥वि० स्था० पू०॥
-
बखानिये॥हितकर अपूरब नाण संग्रह १८ध रोमन सुजगीसए॥ श्रुक्तिलक्ति १९ फुनि तीर्थ प्रत्नावन २० एह थानक वीसए ॥२॥
॥ ढाल ॥ एथांनकबीश जग जयकारा । जपतांलही ये जिनपदसारा ॥करम निकंदैवीश बावीसै नाण्या जग तारक जगदीसें ॥
॥ उल्लालो॥ जगदीस प्रथम जिणंद । जगगुरु चरमजि नवरजीमुदा। नवतीसरे पद सकल सेवी २० लही जिनपति संपदा । बावीस जिनवर२२ सकल सुखकर । इंदजसु गुनगाइये । इग दोय २ त्रिण ३ सज २० पद जपीनें । तीर्थप ति पदपाइये ॥ ४॥
॥दोहा ॥ शरिहंतादिक पदसदा । नजिये तपकरि गुछ । प्रतिनिर्मल गुनयोगता । करिकेतसु गुणलुछ ॥१॥ बिमल पीठत्रिक तदुपरें । ठविये जिनवर वीस ॥ पूजन उपग्रण मेलक रि। शरचीजै सुजगीस ॥ २ ॥ एक २ ए पद तणो । दव्यपूज परकार ॥ पंच ५ अष्ट८ बि
For Private And Personal Use Only