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॥ बोटी नवपद०॥
पश्चिमे दले ॥१॥श्रीधर्मशास्त्राण्य निशंप्र शांतपै । पठंतिये न्यानपिपाठयंति ॥ अध्या पकांस्तांनपराजपत्रे।स्थितान्पवित्रान्परि पूजयामि ॥२॥ नँझा उपाध्यायेच्यो नमः । ॥ इति उपाध्याय पूजा ४ ॥
॥ अथ साधु पूजा ॥
॥ दोहा ॥ मोक्षमारग साधननणी। सावधानथया जह ॥ ते मुनिवरपद वंदतां । निरमलथायें देह ॥ १॥
॥ बंद ॥ साण संसाहिय संजमाणं । नमो नमो सुछ दयादमाणं । करैसेवना सूरिवायग गणी नी। कलं वर्णना तेहनीसी मुणीनी । समेता सदा पंचसमितित्रिगुप्ता। त्रिगुप्ते नही का मनोगेषुलिप्ता । वलीवाह्य अन्यंतरें ग्रंथि टाली। ऊयेमुक्तिने योग्य चारित्र पाली। सुनाष्टांग योगै रमैं चिन्नवाली। नमुंसाधुने ते ह निज पापठाली ॥ १ ॥
॥ ढाल॥
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