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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (९) नवपदपूजा ॥ ७३ ध्यान ए। इम शुछ सत्ता नलो चेतन सकल सिझी अनुसरें। अक्षय अनंत महंत चिदघन परम शानंदता वरें ॥ १ ॥ कलश ॥ इम सयल सुख कर गुण पुरंदर सिछ्वक पदावली । सविलब्धि विजा सिद्धि मंदिर नविक पूजो मनरली । उवकाय वर श्री राज सागर ज्ञान धर्म सुराजता । गुरुदीपचंद सु चरण सेवक देवचंद सुशोनता ॥२॥ ॥ढाल ॥ जाणंता त्रिजंज्ञाने संयुत । ते नव मुकति जिणंद। जेह आदरें कर्म खपेवा। ते तप सुर तस कंदरे न०॥ १ ॥ करम निकाचित पिण यजावें। कमा सहित करंतां । ते तप नमि ये तेह दिपावें। जिन शासन उजवाले रे न० २॥ शामोसहि पमुहा बऊलछी । होइंजा स प्रन्नावें अष्ट महा सिधि नव निधि प्रग टें । नमिये तेह प्रनावें रे न० ॥ ३ ॥ फल शिव सुख मोटूं सुर नरवर । संपति जेहy फूल । ते तप सुरतरू सरिखो वंदु । सम मकरंद थमूल रे न० ॥ ४ ॥ सर्व मंगल मां For Private And Personal Use Only
SR No.020404
Book TitleJin Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherRushi Nankchand
Publication Year1933
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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