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॥ नवपदपूजा ॥
(३)
युगप्रधान जगमाहै । जगमोहै नरहै खिणु कोहै । सूरिनमुंते जोहै रे न० सि० ॥ २ ॥ नितअप्रमत्त धरमउवएसें । नहिविकथान कषाय । जेहने तेआचारजनमियें। अकलुष अमलअमायरे ज० सि०॥३॥ जेदियेसार णवारण चोयण । पमिचोयण बलिजननें । पटधारी गबर्थन शचारज । तेमान्या मुनि मनने रे न सि० ॥ ४ ॥ अस्यमियं जिमसू रज केवल । वंदीजैजगदीवो । जुवन पदार थ प्रगटपटूते । आचारज चिरजीवोरे ज० सि०॥५॥
॥ढाल ॥ ध्याता शाचारजनला। महामंत्र शन ध्यानीरे । पंचप्रस्थाने शतमा । आचारज होयप्राणी रे ॥३॥ वीरजि०॥
॥श्लोक ॥ विमलकेवल० ॥ झी परम ० शाचार्य ॥
॥ इतिश्री तृतीयकला पूजा ॥३॥
॥ श्थचतुर्थ पद पूजा ४ ॥
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