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॥ सतरहलेदी ॥
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पुरन नचंति सिंगारणा ॥ १ ॥
॥गा ॥ तएणं ते अठसयं कुमार कुमरीन लेणं देवेणं संदिठा। रंग मंझवे पविठा। जिणं नमंता गायंता वायंता नचंति ॥
॥राग त्रिगुण नाटक ॥ नाचंति कुमार कुमरी । त्रागादि तत्ता थेइ । दागादि २ थोंगनि २ मुखें तत्ताथेइ ना० ॥ १ ॥ बेणु बीणा मुरज बाजै। सोलही श्रृंगार साजे तनन निन्ना नई । घणण २ घूघरी धमके। रणणनिन्नानई ना० ॥२॥ कं संती कंचुकी तरुणी । मंजरी कंकार करणी। सोनंति कुमरी हास्तकं हावादि नावे । ददंति जमरी ना०॥३॥ सोलमी नाटक तणी सुरी यान रावणे कीधी सुधग तत्ता थेई। तेम नगते नविक लीणा । आणंद तत्ता थेई नाचंति कुमार कुमरी ॥४॥
॥ इति नृत्य पूजा ॥ १६ ॥
॥ अथ वाजिन पूजा ॥ .
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