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पां०क०पू० ॥
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जिनजी नजो नवि प्यारा । याते आ नंद शधिक अपारा जि०॥ १ ॥ सुख सेफ सूती जिन माता । देखें सुपना मननाता ॥ चित हरखित ऊय तिणवारा जि० ॥ २॥ शुचि गज वृष सिंह मनुहार । लक्ष्मी दाम शशी दिनकार। धजकुंन पदमसर सारा जि० वर क्षीर समुश विमान । रयणोच्चय मेस समान निर्धूम पावक सुखकारा जि० ॥३॥ शिवधान्य मंगल श्रियकारी । जाणी शर्थ ह दय कमधारी॥शुनसूचक पुन्य संनारा जि. सुंदर वर सखियन संगें । करिधर्म जागरि कारंगे । निशिशेषगई तिण वारा जि०॥ ४ ॥ एकही पुष्पमाला चढाइये ॥
॥दोहा॥ परम पुरुष परमातमा । जावी नगवन नास ॥ प्रवचन प्रगटकरण प्रन्नु । पुन्य
तणे सुप्रकाश ॥ १ ॥ ॥ पूजा सतर प्रकारी एचाल ॥ शाज शानंद वधाई नई त्रिभुवनमें। चवद सुपन सूचित गुण जेहनां ॥ अवतरे माता उदर नेमैं । आ०॥ १॥ नृपति सद
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