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॥ पां०क०पू० ॥
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.. ॥ अथ पांच कल्याणक पूजा ॥
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॥दोहा॥ ज्योतिरूप जगदीसनों। शत्रुत रूप अनूं प॥ प्रवचनप्रन्नता प्रगटपण । जय जय ज्योति सरूप ॥ १ ॥ चौवीसे जिनवर नमी। पंच कल्याणक रूप ॥ शासन नायक वर्णवू । दर्शन ज्ञा न सरूप ॥२॥ कल्याणक उच्छवकरै । इंदादिक जे देव तेनावें नविजन करै । श्रीजिनवरनीसेव
॥राग सरपदो॥ जोतिसकल जगदीसनी। हां रेज० हे ॥ च्यारनिक्षेप प्रमाण । नाम जिनादिक जिन कह्या । शागम मांहिप्रधान ॥ १ ॥
॥ गाथा॥ नाम जिणाजिण नामा । ठवण जिणान जिणंद पफ्रिमान ॥ दवजिणा जिण जीवा। नावजिणा समवसरणच्छा ॥ १ ॥
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