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॥ चौ० जि० पू०॥
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करतइंदचंद्रसुखकारी । सादिशनंत नंगथि तिधरियो॥ पदशिवचंद बिजयधारी पू० ॥ नही परम०अनं० ज० श्रीम दनंतजिनेंद्राय ज०नैवे०स्वाहा इतिथनंतजिनपूजा ॥ १४ ॥
. दोहा॥ नानुनूपकुलनानुकर । पनरमजिनसुखका र ॥ सोनित सऊजग विपिन जन । हरख फलदजलधार ॥ १ ॥ ॥ धीरसमीरेजमनातीरेवसतिबनेवनमाली॥
धरमजिनेसर धरमधुरंधर। जगवंधव जग बालामें वारीजाउं ॥ सुव्रतानंदनपापनिकंदन प्रनुनएदीनदयालामें वारीजाउं ध०। प्रनुधी रजगुणनिरखअमरगिरि । लजिलीनो अचला धारा में ॥ १ ॥ जिनगंजीरताचरमसिंधुलखि कियलोकांत बिहारामें ध० ॥ एजिनचंदुचर णअरचनतें । लहिजिनपतिशवतारामें ॥ २ करमवैरिदलकरि नविलहस्यो पदशिवचंदउ दारा में नही परम०अनं० ज०श्रीधर्मजिनेंदा य ज०स्वाहा ॥ १५ ॥ इति धर्मजिनपूजा ॥
॥दोहा॥ अचिराउयरेश्वतरी । शांतिकरीसुखका
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