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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रस्य १] बलभद्रदेशका राजकुमार । भीम० - हमलोगोंने दो रात जो देखा क्या वह एकदम झूठ है ? अच्छा, ज़रा नीचे बैठ जाओ, और अपने कानोंके परदे खोल दो । विशा० - चलो बैठ जायँ । भीमसने, कहो, क्या कहते हो ? भीम ० ० -- कल रातकी घटना यों हुई कि पश्चिम ओरका वह - तारा आकाशमें प्रकाश करने क्षितिजसे इतना ही ऊपर उठा था, जहां अब वह चमक रहा है । और एकका घण्टा बजा; इतने में मैं और वीरसेन.. ..... 1 वीर० - सावधान, सावधान ! देखो, वह फिर आ रहा है भीम० — ठीक उसी वेशमें, जिसमें हमारे स्वर्गवासी महाराज रहा करते थे । w वीर० - विशालाक्ष, तुम तो बड़े पण्डित हो; अब उससे बोलो न । भीम ० – क्या महाराजकी सी सूरत नहीं है ? विशालाक्ष, देखो, पहिचानो । विशा० - हां, ठीक वही सूरत है ! मारे डर और अचम्भे मेरा शरीर कांप रहा है | भीम 91 वीर० - विशालाक्ष, उससे बोलो । विशा० - अरे, तू कौन है ? इस रातमें हमारे स्वर्गवासी महाराजके सुन्दर और सिपाहियाने बानेमें यहां घूमनेवाला तू कौन है ? मुझे परमात्माकी सौगन्ध है, बोल, तू कौन है ? वीर० - अजी, वह नाराज हो गया । भीम० – देखो, वह चला । विशा० - अरे ठहर, तुझे मेरी सौगन्ध है, बोल बोल। (भूत जाता है) -उससे कुछ बोलना चाहिये । For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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