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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दृश्य ६ ] बलभद्रदेशका राजकुमार । १३३ उनकी हत्या की उसका शिर काटा जायगा । अच्छा, आओ, अब चलें । ( जाते हैं ) -- छठा दृश्य । स्थान- किले में एक कमरा । विशालाक्ष और एक नौकर प्रवेश करते हैं ? विशा० - वे कौन हैं जो मुझसे भेंट किया चाहते हैं । नौकर वे माँझी हैं, सरकार । और कहते थे, सरकार के नाम उनके पास कोई चिट्ठी है । 0 विशा० - अच्छा, उन्हें भीतर भेज दो । ( नौकर जाता है । ) समझ में नहीं आता कि मेरे नाम चिट्ठी भेजनेवाला महाराज जयन्तके सिवा और कौन है । ( मल्लाह आते हैं । ) मल्लाह -- सरकार, ईश्वर आपका भला करे ! विशा० - वह तुम्हारा भी भला करे ! 01 मल्लाह - अगर वह चाहे, सरकार, तो उसके लिये यह कुछ भी कठिन नहीं है । लीजिये सरकार ! यह चिट्ठी आपके नाम है । श्वेतद्वीप जो वकील भेजे गये थे उन्हीं की यह चिही है । विशालाक्ष आप हीका नाम है न ? I विशा० - ( पढ़ता है ) " विशालाक्ष ! यह चिट्ठी पढ़ लेने पर इन मल्लाहों को राजासे भेंट करने का कोई रास्ता बता दो । राजाको देने के लिये इनके पास मैंने पत्र दिये हैं । समुद्रयात्रा में पूरे दो दिन भी नहीं For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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