SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १३ ) नेवाले आते हैं और कब्र खोदते हुए अपनी विचित्र तार्किकता का परिचय देते हैं; हैम्लेट और उसका प्रतिस्पर्धी लारशस आता है- दोनों अपने अपने पत्नी प्रेम और भगिनीप्रेमका परिचय देते हैं । यदि कब्रस्तानको स्मशान बना देते तो उन कब्रखोदनेवालों को भी चांडाल बना देना पड़ता और फिर पाठकों और प्रेक्षकोंको उनकी बातोंका जो आनन्द मिलता है वह न मिलने पाता । उसी प्रकार भगिनीप्रेम और पत्नीप्रेम के एक दृश्यसे भी पाठक वंचित होते । इसलिये कस्ता - नका कब्रस्तान ही रख छोड़ा है । हैम्लेट नाटकको पढ़कर अंग्रेजीके पाठकोंको जो आनन्द और उपदेश मिलता है उसका अंशतः भी यदि इस पुस्तकसे हिन्दी पाठकोंको लाभ हुआ तो हमारे परिश्रम सफल हैं । हैम्लेट भारतवासियोंके लिये विशेष प्रकारसे उपयोगी हो सकता है। आज कई हजार बस भारतवर्ष जिस तत्वज्ञानकी शरण लेकर उसीमें मगन होता हुआ अपने कर्तव्य से कैसे अलग हुआ है इसका हूबहू दृष्टांत हैम्लेट या जयन्त है। तत्वज्ञानके अथाह समुद्र में गोते खाने वाला हैम्लेट भारतवर्षको तत्वज्ञानका प्रत्यक्ष उपयोग करना सिखा जा सकता है । हैम्लेटका तत्वज्ञान, पालोनियसकी चापलूसी और शुष्क ब्रह्मज्ञान, होशियो का मित्रप्रेम, और राजाकी कालिमामय करतूत सारे संसारके सुधारके लिये ज्वलन्त दृष्टान्त हैं । प्रत्येक पाठकके लिये प्रत्येक पृष्ठपर एक नयी बात- एक नया उपदेश इस हैम्लेट या जयन्त नाटक में है । हैम्लेट नाटकके कई संस्करण छपे हैं । बहुतेरोंमें एक दूसरे से कुछ न कुछ भिन्नता दिखाई देती है-किसीमें कुछ पद्य और वर्णन अधिक है और किसीमें कम । हमने डेटनके संस्करण ही इसका अनुवाद किया; For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy