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जैन विवाह विधि
गृह शांति इस बात का पुर्ण ध्यान रखना चाहिये कि लग्न हो वहां तक सात स्मरण और गृहशांति का पाठ हमेशा कराते रहे शायद हमेशा न बन सके तो लग्न के दिन तो अवश्य ही पाठ करावें ।
लग्न के समय से पहले वर को तेल, पीठी की मालिश कराने के साथ स्नान कराकर शरीर को अंगोछे से पोंछ कर कपड़े, गहने पहनाकर ललाट मे कुंकुम का तिलक कर घोड़े पर बिठावें । उसके पीछे उसकी बहन को बिठाकर लुंग उतारे और ढोल, नगाड़ा, ताशा
आदि बाजे गीत नाच वगैरह लवाजमे के साथ वरघोड़ा चले । रास्ते मे 'जैन मंदिर हो वर को दर्शन कराते चले । रास्ते में क्रिया कारक नीचे मुजब मंत्र बोलता चलें।
। वरघोड़े में मंत्रपाठ ॐ अहँ आदिमोऽर्हन्, आदिमो नृपः, आदिमो दाता, आदिमो नियन्ता, आदिमो गुरूः, आदिमः श्रेष्ठः, आदिमः कर्ता, आदिमो भर्ता, आदिमो जयी, आदिमोः नयी, आदिमः शिल्पी, आदिमो विद्वान्, आदिमो जल्पाकः, आदिमः शास्ता, आदिमो रौद्रः, आदिमः सौम्यः, आदिमः काम्यः, आदिमः करूण्यः, आदिमो वन्यः, आदिमः स्तुत्यः, आदिमो ज्ञेयः, आदिमो ध्येयः, आदिमो भोक्ता, आदिमः सोढा, आदिम एक, आदिमोऽनेक, आदिमः कर्मवान्, आदिमोऽकर्मा, आदिमो धर्म वित्, आदिमोऽनुष्ठेयः, आदिमोऽनुष्ठता, आदिमः सहजः, आदिमो दशावाम्, आदिमः सकलत्रः, आदिमो निष्कलत्रः, आदिमो विवोढा, आदिमः, ख्यापकः, आदिमो ज्ञापकः, आदिमो विदुरः, आदिमः कुशलः आदिमो वेज्ञानिक आदिमः सेव्यः, आदिमो
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