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जैन विवाह विधि
ध्यान रहे कि अगर चोपडा छोटा हो तो ५ या ७ ही श्री करना उसके बाद उसके नीचे स्वस्तिक (साथीया) कंकु से करे और उस पर नागरवैल का पान सुपारी इलायची लबंग रूपा नाणा वगैरह रखे बाद चोपडे के आसपास फिरती जल की धारा देकर वासखेप चावल पुष्प की कुसुमांजलि हाथ में ले कर नीचे मुजब श्लोक बोलता हुआ चढावे ।
मंगलं भगवान वीरो, मंगल गौतम प्रभु ।
मंगलं स्थूली भद्राद्या, जैन धर्मोऽस्तु मंगलं ।। १ ।। फिर पंचपरमेष्ठी स्तवन पढे -
पंचपरमेष्ठि स्तवन स्व.श्रियं श्रीमदर्हन्तः, सिद्धाः सिद्धिपुरीपदम् । आचार्याः पंचधाचारं, वाचका वाचनां वराम् ।।१।। साधवः सिद्धिसाहाय; वितन्वन्तु विवेकिनाम् । मंगलानां च सर्वेषा-माद्यं भवति मंगलं ।।२।। अर्हमित्यक्षरं माया-बीजं च प्रणवाक्षरम् । एनं नानास्वरूपं च, ध्येयं ध्यायन्ति योगिनः ।।३।। हृत्पद्मषोडशदल-स्थापितं षोडशाक्षरम् । परमेष्ठिस्तुतेर्बीजं, ध्यायेदक्षरदं मुदा ।।४।। मंत्रणामादिमं मंत्र, तंत्र विध्नौघनिग्रहे । ये स्मरन्ति सदैवनं, ते भवन्ति जिनप्रभाः ।।५।।
इसके बाद नीचे दिया हुआ मंत्र बोलते जाना और हर एक द्रव्य से शारदा पूजन करते जाना ।
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