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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशक की कलम से.. शत्रुजय महातीर्थ की धन्यधरा पर पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के शुभारंभ के शुभदिन दीक्षा के दानवीर पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के दीक्षा शताब्दी वर्ष में उन्हीं के तेजस्वी शिष्यरत्न बीसवी सदी के महानयोगी, नमस्कार महामंत्र के अजोड साधक, निःस्पृह शिरोमणि, वात्सल्यमूर्ति पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर्य के चरम शिष्यरत्न प्रवचन प्रभावक, मरुधररत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वरजी म.सा. के द्वारा हिन्दी भाषा में आलेखित 157वीं पुस्तक 'जैन-शब्द-कोष' का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यंत ही हर्ष हो रहा है । पूज्य गुरु भगवंतों के प्रवचनों में जैन धर्म के पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग होना स्वाभाविक है परंतु उन शब्दों के अर्थ का सम्यग् बोध नहीं होने से या तो श्रोता प्रवचन के मर्म का समझ नहीं पाते है अथवा कई बार उसका विपरीत अर्थ भी कर लेते है । पूज्यश्री के दिल में कई वर्षों से यह भावना थी कि यदि जैन धर्म के प्रचलित शब्दों के अर्थ के संग्रह की पुस्तक प्रकाशित हो तो कितना अच्छा हो ! बस, उनके अन्तर्मन में रही हुई भावना आज साकार होने जा रही है उसका हमें अत्यंत ही हर्ष है | आज से 5 वर्ष पूर्व आदीश्वरधाम में महामंगलकारी उपधान तप की समाप्ति के बाद पूज्यश्री की 15 दिन तक महावीर धाम में स्थिरता रही, उसी स्थिरता दरम्यान गुर्जर भाषा में प्रकाशित अनेक पुस्तकों का आलंबन लेकर पूज्यश्री ने प्रस्तुत पुस्तक का आलेखन किया है । हमें आत्म विश्वास है कि पूज्यश्री के पूर्व प्रकाशनों की भांति प्रस्तुत 'कृति' भी हिन्दी भाषी प्रजा के लिए अवश्य ही उपकारक बनेगी । -- For Private and Personal Use Only For
SR No.020397
Book TitleJain Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasensuri
PublisherDivya Sanesh Prakashan
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size11 MB
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