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360 सो पालणीय गो किल तच्चाए होइ पावं तु ॥७९॥ सोगं अकंदण विलवणं च जं दुक्खिओ ता कुणइ । सेवइ जं च अफज तेण विणा तस्स सो दोसो ॥८॥ इअ पाणवहाईआण पावहेउत्ति अह म तेऽवि । जणु तस्त्र पालणे तह ण होंति ते ? चिंतगीअमिणं ।।८१॥ आरंभमतरेणं ण पालणं तस्स संभवइ जेगं । तमि अ पाणवहाई नियमेण हवति. पयडमिणं ||२|| अण्णं च तस्स चाओ पाणवहाइ व गुरुत्तरा होज्जा ? । जइ ताव तस्स चाओ को एत्थ विसेसहेउत्ति ॥८३॥ अह तस्सेव उ पीडा किं णो अण्णेसि पालणे तस्स ? | अह ते पराइ सोऽविहु सतत्तचिंताइ एमेव ॥४४॥ सिअ तेण कयं कम्म एसो नो पालगोत्ति किं ण भवे ? । ता नृणमण्णपालगजोग्गं चित्र तं कयं तेण ॥८५॥ बहुपीडाए अ कहं थेवसुहं पडियाणमिति ? । जलकटाइगयाण य वहूग घाआ तदच्चाए ॥८६।। एवावहा उ अह त सित्ति न तत्थ होइ दोसो उ । इअ सिठिवायपक्खे तच्चाए णणु कह दोसो ? ॥८॥ तो पाणवहाईआ गुरुतरया पावहेउणो नेआ। सणस्स पालणमि अ नियमा एइत्ति भणियमिणं ।।८८॥ एवंपि पावहेऊ अप्पयरो णवर तस्स चाउत्ति । सो कह ण होइ तस्सा धम्मत्थं उज्जयभइस्स ? ॥८॥ अब्भुवगमेण भणिअं णउ विहिचाओऽवि तस्स हेउत्ति । सोगाइंमिवि तेसिं मरणे व विसुद्धचित्तस्स ॥२०॥ अण्णे भगंति धन्ना सयगाइजुआ उ होति जोगत्ति । संतस्स परिच्चागा जम्हा ते चाइगो हुंति ॥९१॥ जेपुण तप्परिहीणा जाया दिवाओ चेव भिक्खागा। तह तुच्छभावओ चित्र कहण्णु ते होति गंभोरा ॥१२॥ मज्जति अ ते पायं अहिअयरं पाविऊण पन्जायं ।
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