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Shu Mahal
na Kendra
Acharya Si Kag
uya mandi
एकसो रे, ओगण त्रीश साठ लाख-च० ॥४॥ विद्युत् कुमार माहि वली रे, अग्नी द्वीप कुमार; उदधि दिशि कुमारमा रे, स्तनित कुमार मोझार-च०॥ ५॥ प्रासाद एह छ मांहिछे रे, बहोंतेर बहोंतेर लाख; इहां एके स्थानकें रें, जिन बींबनी सुंणो भाख-च० ॥६॥ एकसो कोडि छत्रीश कोडी रे, एंसी लाख आह्वाद; ॥ वायु कुमार मांहि वलि रे, छन्नु लाख प्रासाद-च० ॥७॥ जिन बींबदू एकसो कोडि तिहां रे, बहोतेर कोड एंसी लाख; पाताल मांहि इणिं परें रे, सूत्र तणि ', साखिच०॥८॥ भवन पतिमां देहरां रे, बहोतेर लाख सात कोडि; जिन बिंब तेर कोडिसें रे, साठि लाख नव्यासी कोडि-च०॥९॥ ___ ढाल-॥३॥ निंदरडी वेरण हुइरही ॥ ए देशी ॥ प्रासाद उर्द्ध लोकमां, पहेलें स्वगें हो लाख बतीश कें;सत्तावन कोडि मूरति,साठ लाख हो कहें जगदीश-प्राणाशाए आंकणी-बीजें इशान देवलोकें,
अठावीश हो लाख प्रासादकें; पंचाश कोडी जिन मूरति, लाख च्यालीश हो सोहें घंटा नादकें-प्रा० P॥२॥ त्रीजें सनत् कुमारमां, सुप्रासाद हो तिहां लाख बारकें; साठि लाख इकवीश कोडी, जिन
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