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ShiMahayeJainrachanaKendra
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Acharya Sh Kailasager
Gamandi
देवलोक
॥१८६॥
___ ढाल-५-पांचमी॥ भमरा भुधरस्ये नाव्यो-ए देशी ॥
स्तवनम् पहेला ग्रैवेयकनी संख्या, विमानसाडत्रीश आख्या;प्रासाद साडत्रीश भाख्या ॥ भवि जिव वंदिए । |जिनवरने०॥ ए आंकणी ॥१॥ तिहां जिनबिंब सहस्स च्यार, उपर चारसेंछे प्यार; चालीस |जिनवर सार भवि०॥२॥ सुदर्शननी संख्या कही, बिजु सुप्रभ नामे सहि; त्रिजुं मनोरम नामे लहि ॥ भवि०॥३॥ ए त्रिकनी संख्या कहुं, एकसो इग्यार विमान लहुं; एकसो इग्यार प्रासाद सहु ॥ भवि०॥४॥ तेरहजार जिन प्रमाणो, त्रणसे उपर वीश जाणी; एत्रीकनी संख्या आणी|
भवि०॥५॥ सर्वतोभद्र चोथं खामि, छत्रीस विमान ते शिवगामी; प्रासाद छत्रीश विसरामि ॥ भवि०॥६॥ जिनवर सहस्स चार प्रतिमा, बसेंएंसि हर्षेधरं दिलमां; ए वर्णवता चतुर mean सूत्रमा ॥ भवि०॥७॥
ढाल-६-छद्री ॥ मारुजीनी ॥बेडली नेणा बीच घूल रही-ए देशी॥ जिनजी विशाल नामे पांचमुं कडं, तिहां पांत्रीश विमान हो जिणंदराया ॥ जिनजी.॥ पांत्रीस
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