________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
अर्बुदाच- ८ दीश ॥ २ ॥ आदिश्वर अरिहंत तिहां, नमो सदा कर जोडि; बीजा देव संसारना, न करे लउत्पत्ति * जेहनी होडि ॥ ३ ॥
ढाल - ३ - त्रीजी ॥ मेंतुरे मणुया वरजीओ ॥ ए देशी ॥ अंबिका देवी प्रसादथी, विमल प्रसाद | मंडाविरे; नाग खेतल वाली मिली, ततक्षण सघला आवेरे ॥ चैत्य वंदन करी भावसु, सकल संपत्ति सुखं पावोरे; वीतराग आराधतां, फिरि संसारमां नावोरे ॥ चैत्य० ॥ ए आंकणी ॥ १ ॥ भूमि तणा जे देवता, भाट भरडा बहु आवेरे; न हुवो नवि छे नही होसे, धन खरचें कोडि लाखेंरे ॥ चैत्य ॥ २ ॥ विमल प्रसाद मंडावसो, खरचस्यो द्रव्य अनेकरे; राति समे ते पाडसो, चैत्य न रहेश्यो एकोरे ॥ चैत्य ॥ ३ ॥ इम करता जो मनछे, अमने देव देखाडोरे; श्री आदिश्वर तिहां कणे, प्रगट थया धन जाजोरे ॥ चैत्य ॥ ४ ॥ देव सकल सुख उपनो, खेतलवीर वर धारीरे; तेल सिंदुर बलि बाकुला, बलि देई गावें नारीरे ॥ चैत्य ॥ ५ ॥ भरडा भूमीया तिहां 'हुता, संतोष्या धन आपीरे; जोटिंग प्रेत मानें आगन्या, भूमि देहरानी स्थापीरे ॥ चैत्य ॥ ६ ॥ सुंदर तिल तिल
For Pitvale And Personal Use Only
Acharya Shn Kailassagarsuri Gyanmandir
चैत्यप
रिपाटी
स्तवनम्